क्या चन्द्रधर शर्मा गुलेरी साहित्य, संस्कृति और संवेदना के प्रतीक थे?

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क्या चन्द्रधर शर्मा गुलेरी साहित्य, संस्कृति और संवेदना के प्रतीक थे?

सारांश

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी, हिंदी साहित्य के एक महान हस्ताक्षर, ने अपने अल्प जीवन में अद्वितीय रचनाएँ कीं। उनकी कहानी 'उसने कहा था' ने कथा साहित्य को नयी दिशा दी और आज भी पाठकों के दिलों में बसे हैं। गुलेरी की लेखनी में जीवन की गहराइयों का बोध होता है।

Key Takeaways

  • गुलेरी का जन्म 7 जुलाई 1883 को हुआ था।
  • उनकी कहानी 'उसने कहा था' को आधुनिक हिंदी कहानी माना जाता है।
  • गुलेरी ने निबंध और समालोचक पत्रिका का संपादन किया।
  • उनका निधन 39 वर्ष की आयु में हुआ।
  • गुलेरी की लेखन शैली में संस्कृत और लोकभाषा का समावेश था।

नई दिल्ली, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। साहित्य जगत के ध्रुव तारा चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हिंदी के उन चमकते सितारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने अल्प जीवनकाल में ही अमिट छाप छोड़ी। आधुनिक हिंदी साहित्य के 'द्विवेदी युग' के इस महान साहित्यकार ने अपनी रचनाओं विशेषकर कहानी 'उसने कहा था' के माध्यम से कथा साहित्य को नई दिशा दी। उनकी रचनाएं आज भी पाठकों के दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ती हैं।

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 7 जुलाई 1883 को जयपुर में हुआ, लेकिन उनके पूर्वज हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गुलेर गांव से थे। उनके पिता पंडित शिवराम शास्त्री, एक सम्मानित ज्योतिषी थे जो जयपुर में राज सम्मान प्राप्त कर बसे थे। गुलेरी को बचपन से ही संस्कृत, वेद और पुराणों का वातावरण मिला, जिसने उनकी साहित्यिक रुचि को पोषित किया।

मात्र 10 वर्ष की आयु में उन्होंने संस्कृत में भाषण देकर विद्वानों को आश्चर्यचकित कर दिया था। उनकी शिक्षा जयपुर के महाराजा कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय में हुई, जहां उन्होंने प्रथम श्रेणी में सफलता प्राप्त की। संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच, लैटिन, मराठी, बंगाली और अन्य भाषाओं में उनकी विद्धता ने उन्हें बहुमुखी प्रतिभा का धनी बनाया।

गुलेरी का साहित्यिक योगदान उनकी कहानियों, निबंधों, व्यंग्यों और समीक्षाओं में देखा जा सकता है। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना 'उसने कहा था' (1915) को हिंदी की पहली आधुनिक कहानी माना जाता है। यह कहानी प्रेम, त्याग और मानवीय संवेदनाओं का ऐसा चित्रण प्रस्तुत करती है कि जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। इसके अतिरिक्त उनकी अन्य कहानियां जैसे 'सुखमय जीवन' और 'बुद्धू का कांटा' भी उनकी कथात्मक शैली और भाषा की सशक्तता को दर्शाती हैं।

गुलेरी की लेखन शैली में खड़ी बोली का सहज और आत्मीय प्रयोग दिखता है, जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ-साथ लोकभाषा के शब्दों का भी समावेश है। उनकी भाषा में अनौपचारिकता और पाठक से सीधा संवाद स्थापित करने की कला थी।

कहानीकार के रूप में उनकी ख्याति के साथ-साथ गुलेरी एक कुशल निबंधकार, समीक्षक और पत्रकार भी थे। उन्होंने 'समालोचक' पत्रिका का संपादन किया और नागरी प्रचारिणी सभा के कार्यों में योगदान दिया। उनके निबंध इतिहास, दर्शन, पुरातत्त्व, भाषा विज्ञान और धर्म जैसे गंभीर विषयों पर हैं।

जयपुर की जंतर-मंतर वेधशाला के संरक्षण में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। मात्र 39 वर्ष की आयु में पीलिया के कारण 12 सितंबर 1922 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके विचार और रचनाएं आज भी प्रेरणादायी हैं। गुलेरी ने हिंदी साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ आधुनिक दृष्टिकोण और मानवतावादी मूल्यों को स्थापित किया। उनकी विरासत हिंदी साहित्य के लिए एक अमूल्य धरोहर है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

Point of View

जिनका योगदान न केवल कथा लेखन में है, बल्कि वे एक कुशल निबंधकार और समीक्षक भी थे। उनके विचार और रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं। गुलेरी की विरासत हमें साहित्य के प्रति नई दृष्टि प्रदान करती है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक बनी रहेगी।
NationPress
19/09/2025

Frequently Asked Questions

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का प्रमुख काम क्या है?
उनकी प्रमुख रचना 'उसने कहा था' है, जिसे हिंदी की पहली आधुनिक कहानी माना जाता है।
गुलेरी ने किन विषयों पर निबंध लिखे?
गुलेरी ने इतिहास, दर्शन, पुरातत्त्व, भाषा विज्ञान और धर्म जैसे गंभीर विषयों पर निबंध लिखे।
गुलेरी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उनका जन्म 7 जुलाई 1883 को जयपुर में हुआ।
गुलेरी का लेखन शैली कैसी थी?
उनकी लेखन शैली में खड़ी बोली का सहज और आत्मीय प्रयोग होता था।
गुलेरी का निधन कब हुआ?
गुलेरी का निधन 12 सितंबर 1922 को हुआ।