क्या शिवसेना-यूबीटी ने दिल्ली ब्लास्ट के बाद सरकार पर सवाल उठाए?

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क्या शिवसेना-यूबीटी ने दिल्ली ब्लास्ट के बाद सरकार पर सवाल उठाए?

सारांश

दिल्ली में हुए कार धमाके ने राजनीति में हलचल मचा दी है। शिवसेना-यूबीटी ने केंद्र सरकार की आतंकवाद से निपटने में असफलता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या यह सरकार को चुनौती देने का समय है?

Key Takeaways

  • दिल्ली धमाका ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं।
  • शिवसेना-यूबीटी ने केंद्र सरकार पर आतंकवाद के प्रति असंवेदनशीलता का आरोप लगाया।
  • राजनीति में इस घटना का गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

मुंबई, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में हुए कार धमाके के बाद राजनीति में हलचल मच गई है। बुधवार को, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना पार्टी ने केंद्र सरकार पर आतंकवाद को समाप्त करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने में नाकाम रहने का आरोप लगाया।

शिवसेना-यूबीटी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में दिल्ली कार ब्लास्ट की समय सीमा पर प्रश्न उठाए गए हैं, और इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है।

संपादकीय में कहा गया, "दिल्ली में सोमवार को हुए विस्फोट का उपयोग मंगलवार को बिहार के मतदान के अंतिम चरण के लिए किया गया। यह शोर मचाया गया कि देश पर आतंकवादी हमला हुआ है, लेकिन इसके लिए खुद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जिम्मेदार हैं। वे देश को संभालने में असमर्थ हैं।"

शिवसेना-यूबीटी के मुखपत्र में पहलगाम और पुलवामा जैसे हमलों का उदाहरण देते हुए सरकार पर निशाना साधा गया। संपादकीय में कहा गया, "आतंकवाद एक वैश्विक चिंता है। भारत में यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। हर आतंकवादी हमले का राजनीतिकरण, हर हमले का प्रचार में उपयोग और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करके राजनीतिक लाभ कमाने का काम पिछले दस वर्षों से चल रहा है। अगर देश की राजधानी सुरक्षित नहीं है, तो इस देश में क्या सुरक्षित है?"

पार्टी ने सवाल उठाते हुए कहा, "ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार ने घोषणा की थी कि 'भारत पर भविष्य में होने वाले किसी भी आतंकी हमले को युद्ध कार्रवाई माना जाएगा।' यदि यह सच है, तो क्या मोदी सरकार सोमवार को दिल्ली के लाल किले पर हुए धमाके को भारत के खिलाफ युद्ध मानने की सोच रही है?"

संपादकीय में कहा गया है, "जो खुद को सरदार पटेल के रूप में देखते हैं, अमित शाह अब तक के सबसे कमजोर और असफल गृह मंत्री बन चुके हैं। दिल्ली धमाके ने देश के सामने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार आतंकवाद को समाप्त करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने में विफल रही है। अगर वह इस्तीफा दे देते हैं, तो यह 140 करोड़ लोगों पर उपकार होगा, अन्यथा दिल्ली, मुंबई और बंगलुरु जैसे शहर खून से लथपथ नजर आएंगे।

Point of View

NationPress
12/11/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली में कार धमाका कब हुआ?
दिल्ली में कार धमाका सोमवार को हुआ था।
शिवसेना ने सरकार पर क्या आरोप लगाए?
शिवसेना ने आरोप लगाया है कि सरकार आतंकवाद को खत्म करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने में विफल रही है।
संपादकीय में किस बात पर जोर दिया गया है?
संपादकीय में कहा गया है कि दिल्ली में सुरक्षा की कमी है और यह एक गंभीर चिंता का विषय है।