क्या दिल्ली-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर पर वर्षाजल संचयन के लिए लगभग 900 पिट्स का प्रभावी तंत्र तैयार है?

सारांश
Key Takeaways
- नमो भारत कॉरिडोर पर 900 वर्षाजल संचयन पिट्स का निर्माण।
- पिट्स में जल संरक्षण के उपाय।
- परियोजना से पर्यावरणीय संतुलन में मदद।
- उच्च क्षमता वाले पिट्स की डिज़ाइन।
- वर्षा जल का प्रभावी उपयोग।
गाजियाबाद, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नमो भारत परियोजना की शुरुआत से ही एनसीआरटीसी पर्यावरणीय सततता के प्रति सजग रही है और इसके लिए लगातार प्रयास करती रही है। कॉरिडोर के ऊंचे खंड में वर्षा जल संचयन के लिए स्टेशनों, डिपो और वायडक्ट के साथ रिचार्ज पिट या वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
दिल्ली के सराय काले खां से मेरठ के मोदीपुरम तक लगभग 900 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का एक प्रभावी तंत्र विकसित किया जा रहा है, जो लगभग पूरा हो चुका है। 82 किमी लंबे नमो भारत कॉरिडोर का लगभग 70 किमी का हिस्सा ऊंचा और बाकी भूमिगत है। कॉरिडोर के ऊंचे हिस्से में वर्षा जल संचयन पिट्स वायडक्ट स्पैन के नीचे सड़क डिवाइडर वाले हिस्से में बनाए जा रहे हैं। वहीं स्टेशनों के प्रत्येक प्रवेश-निकास द्वारों पर 2-2 वर्षा जल संचयन पिट्स का निर्माण किया जा रहा है।
वर्षाजल का कैचमेंट वायडक्ट और स्टेशन की छत पर किया जा रहा है। स्टेशनों में बने प्रत्येक पिट का व्यास 2 मीटर और गहराई 2.5 मीटर है, जिसमें लगभग 6500 लीटर वर्षा जल एकत्रित करने की क्षमता है। वहीं वायडक्ट के नीचे बनाए गए पिट्स की लंबाई-चौड़ाई 2.9 x 1.5 मीटर, गहराई 1.5 मीटर है और प्रत्येक पिट में लगभग 8700 लीटर वर्षाजल एकत्रित करने की क्षमता है। योजना के तहत वायडक्ट के नीचे एक स्पैन के अंतराल पर एक वर्षा जल संचयन पिट का निर्माण किया जा रहा है।
इन दोनों चैंबर्स के बीच में एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट बनाया गया है। इन दोनों चैंबर्स को पाइपों के जरिये पिट से जोड़ा गया है। वर्षा के दौरान वायडक्ट से वर्षा जल पाइपों की मदद से पहले इन दो चैंबर्स में आएगा और फिर रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स के रास्ते भूमि में समा जाएगा। इन पिट्स में वर्षाजल को साफ करने के लिए रोड़ी और बालू के तीन परत वाले फिल्टर्स भी बनाए जा रहे हैं, ताकि जमीन के भीतर गंदगी मुक्त जल ही पहुंचे। ट्रेनों के रखरखाव और संचालन के लिए दो डिपो, एक दुहाई (गाजियाबाद) में और एक मोदीपुरम (मेरठ) में बनाए जा रहे हैं।
दुहाई स्थित डिपो का निर्माण पहले ही पूरा कर लिया गया है और कॉरिडोर पर ट्रेनों का परिचालन और प्रबंधन यहीं से किया जा रहा है। यहाँ वर्षा जल संचयन के लिए 20 पिट्स का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त यहाँ क्रमश: 1160 स्क्वायर मीटर और 663 स्क्वायर मीटर आकार के दो बड़े तालाब भी बनाए गए हैं। इन तालाबों की गहराई 4 से 5 मीटर है और इनके तलों में वर्षा जल संचयन पिट्स बनाए गए हैं, ताकि इनमें एकत्र होने वाला वर्षाजल भू-गर्भ तक पहुंच सके। एक तालाब में 4 और दूसरे में 3 वर्गाकार वर्षा जल संचयन पिट्स बनाए गए हैं, जिनकी गहराई 1.2 मीटर और व्यास 2.5 मीटर है। इन दोनों तालाबों में 66 लाख लीटर से अधिक वर्षा जल संग्रहित किया जा सकेगा।
अत्यधिक वर्षा की स्थिति में वर्षा जल संचयन पिट्स से बचने वाला अतिरिक्त वर्षा जल इन तालाबों में जाकर एकत्रित होगा और उसके बाद भू-गर्भ में समा जाएगा। इसके साथ ही इन तालाबों में एकत्र होने वाले वर्षा जल से डिपो के पौधों को भी सींचा जा सकेगा। वर्तमान में, नमो भारत कॉरिडोर पर दिल्ली के न्यू अशोक नगर से लेकर मेरठ साउथ स्टेशन तक का 55 किमी लंबा सेक्शन जनता के लिए परिचालित है। 82 किलोमीटर लंबे इस पूरे नमो भारत कॉरिडोर पर लगभग 900 वर्षा जल संचयन पिट्स बनाने का लक्ष्य है जिनमें से 800 से अधिक पिट्स तैयार होने के बाद सक्रिय कर दिए गए हैं। बचे हुए पिट्स पर भी निरंतर कार्य चल रहा है जिन्हें जल्द ही सक्रिय कर दिया जाएगा।