क्या अमेरिकी नागरिक की शिकायत पर ईडी ने साइबर फ्रॉड में 3 करोड़ की संपत्ति जब्त की?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने साइबर फ्रॉड के मामले में कार्रवाई की है।
- मुख्य आरोपी विक्रमजीत सिंह हैं।
- धोखाधड़ी से 11.50 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की गई।
- अचल संपत्तियों का उपयोग अपराध के पैसे से किया गया।
- जांच में और भी कई तथ्य सामने आ रहे हैं।
चंडीगढ़, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। निदेशालय प्रवर्तन (ईडी) के चंडीगढ़ जोनल कार्यालय ने साइबर फ्रॉड के मामले में 2.85 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति जब्त की है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) एक्ट 2002 के अंतर्गत की गई है। यह मामला विदेशियों को धोखा देने से संबंधित है, जिसमें मुख्य आरोपी विक्रमजीत सिंह और अन्य ने लगभग 11.50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
ईडी ने यह जांच हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। शिकायत एक अमेरिकी नागरिक ने दर्ज कराई थी।
जांच में यह सामने आया है कि विक्रमजीत सिंह और आंचल मित्तल ने अन्य के साथ मिलकर एक धोखाधड़ी वाला कॉल सेंटर स्थापित किया था, जिसमें उन्होंने बैंक ऑफ अमेरिका के कर्मचारी बनकर काम किया। उन्होंने एक अमेरिकी नागरिक के कंप्यूटर तक अवैध पहुंच प्राप्त की और 11.54 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
जांच में यह भी पता चला कि धोखाधड़ी से प्राप्त रकम का इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी खरीदने में किया गया, जिसे बाद में बेचा गया और बैंक खातों के माध्यम से धोखा देने वालों के रिश्तेदारों और अन्य संस्थाओं के माध्यम से लॉन्ड्रिंग की गई। इसके अलावा, कुछ रकम का उपयोग अचल संपत्ति खरीदने में भी किया गया।
ईडी ने यह भी पता लगाया कि मुख्य आरोपी विक्रमजीत सिंह ने अपराध से प्राप्त पैसे का उपयोग अपने परिवार के नाम पर अचल संपत्ति खरीदने, विभिन्न व्यक्तियों को ऋण देने और बिल्डरों को अग्रिम भुगतान करने में किया। इस जांच में दो अचल संपत्तियां जब्त की गईं, जो विक्रमजीत के माता-पिता, सरिता देवी और जसबीर सिंह के नाम पर थीं। इनकी कुल कीमत 1.26 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, एफडीआर और बैंक बैलेंस (1.58 करोड़ रुपये) भी जब्त किया गया।
ईडी ने पहले 29 जुलाई 2025 को विक्रमजीत सिंह और उसके साथियों के निवास स्थान पर छापे मारे थे। इस दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए और संदेहियों के विभिन्न बैंक खातों में रखे 43.58 लाख रुपये फ्रीज किए गए। आगे की जांच जारी है।