क्या उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गैरहाजिर डॉक्टरों को बर्खास्त करने का आदेश दिया?

सारांश
Key Takeaways
- गैरहाजिर डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हेतु सरकार की पहल।
- कर्मचारियों की लापरवाही पर कार्रवाई।
लखनऊ, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में बाधा डालने वालों के खिलाफ प्रदेश सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को लगातार गैरहाजिर रहने वाले तीन डॉक्टरों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया है।
आगरा के शमशाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तैनात डॉ. वंदना जैन, श्रावस्ती संयुक्त जिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विपुल अग्रवाल, और बाराबंकी के जाटा बरौली सीएचसी के डॉ. देववृत लंबे समय से गैरहाजिर चल रहे थे। उप मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को इन डॉक्टरों की बर्खास्तगी के आदेश दिए हैं।
वाराणसी के कबीर चौरा जिला महिला चिकित्सालय में 18 अगस्त को गर्भवती रिजवाना को बिना डॉक्टरी परीक्षण के रेफरल पर्ची जारी कर दी गई। गर्भवती के लिए एम्बुलेंस और स्ट्रेचर की व्यवस्था नहीं की गई, जिसके कारण प्रसव अस्पताल के प्रांगण में ही हुआ। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए उप मुख्यमंत्री ने स्टाफ नर्स प्रीतम सिंह को निलंबित करने का आदेश दिया है।
महिला चिकित्साधिकारी डॉ. सुमिता गुप्ता के लापरवाही के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त, अस्पताल की प्रमुख अधीक्षिका डॉ. नीना वर्मा पर भी दोषी पाए जाने के चलते विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
मिर्जापुर में डॉ. विनय कुमार, डॉ. सुनील सिंह, और डॉ. तरुण सिंह पर लापरवाही के आरोपों के तहत जांच की गई है। इन चिकित्सकों पर आरोप पत्र देकर विभागीय कार्यवाही करने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही अयोध्या के कुमारगंज के 100 शैय्या संयुक्त चिकित्सालय में प्राइवेट प्रैक्टिस के मामले में भी कार्रवाई की जाएगी।