क्या आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में बड़ा एक्शन हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है।
- पद से हटाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है।
- मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
- हरियाणा सरकार ने इस मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
- सुसाइड नोट में कई अधिकारियों के नाम शामिल हैं।
रोहतक, ११ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस) – हरियाणा सरकार ने दलित आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया को उनके पद से हटा दिया है। उनकी जगह सुरेंद्र सिंह भौरिया को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह जानकारी हरियाणा सरकार के गृह विभाग ने एक अधिसूचना जारी करके दी।
वाई पूरन कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार ने शिकायत में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया पर आरोप लगाया कि दोनों उनके पति का मानसिक उत्पीड़न कर रहे थे, जिसके चलते उनके पति ने आत्महत्या कर ली। अमनीत ने दोनों अधिकारियों पर एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की।
अमनीत ने कहा कि उनके पति हमेशा ईमानदारी से काम करते थे। यह मेरे लिए बहुत दुखद है कि वे अपने घर में मृत पाए गए। इसे आत्महत्या कहा जा रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि यह उनके मानसिक उत्पीड़न का परिणाम है।
अमनीत ने यह भी कहा कि उनके पति उन्हें बताते थे कि उन्हें जाति के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता था। उनके वरिष्ठ अधिकारी लगातार उनका मानसिक शोषण करते थे और उन्हें डर था कि उनके खिलाफ कोई साजिश हो रही है।
वाई पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में जिन अधिकारियों का जिक्र किया था, उनके खिलाफ गुरुवार को प्राथमिकी दर्ज की गई। सुसाइड नोट में जिन १५ सेवारत और सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नाम हैं, उनमें हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया शामिल थे।
यह ध्यान देने योग्य है कि हरियाणा के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने समाज में आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।