क्या सड़क से शुरू हुआ सफर, 'सूरमा भोपाली' बन हिंदी सिनेमा में छाए जगदीप?

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क्या सड़क से शुरू हुआ सफर, 'सूरमा भोपाली' बन हिंदी सिनेमा में छाए जगदीप?

सारांश

जगदीप, एक अद्वितीय कॉमेडियन और अभिनेता, जिन्होंने 'सूरमा भोपाली' जैसे किरदार से हिंदी सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी। उनका सफर संघर्ष से भरा था लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिभा से सभी का दिल जीत लिया। जानिए उनकी कहानी और फिल्मी करियर के बारे में।

Key Takeaways

  • जगदीप ने संघर्ष से सफलता की मिसाल पेश की।
  • उनका सूरमा भोपाली का किरदार आज भी याद किया जाता है।
  • उन्होंने कई यादगार फिल्में की हैं।
  • जगदीप के डायलॉग और हंसी हमेशा हमारे दिलों में बसी रहेगी।
  • उनका योगदान हिंदी सिनेमा में अमूल्य है।

मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ब्लैक एंड व्हाइट पर्दे के दौर के बॉलीवुड के प्रसिद्ध कॉमेडियन जगदीप की पहचान किसी परिचय की मोहताज नहीं है। वह एक अद्वितीय अभिनेता थे और उनके लिए फिल्में विशेष किरदार तैयार किए जाते थे। ऐसा ही एक किस्सा है 1975 में आई फिल्म 'शोले' का, जिसमें 'सूरमा भोपाली' का किरदार अत्यंत लोकप्रिय रहा। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह किरदार फिल्म की स्क्रिप्ट में पहले से मौजूद नहीं था। पटकथा लेखक सलीम खान और जावेद अख्तर ने हल्की-फुल्की कॉमेडी के लिए इस किरदार को तैयार किया। जगदीप ने इस किरदार को निभाकर न केवल फिल्म में कॉमेडी का तड़का लगाया, बल्कि इसे एक जीवन भर के लिए यादगार बना दिया।

इस किरदार के बाद लोग उन्हें 'सूरमा भोपाली' के नाम से जानने लगे। यह किरदार इतना प्रसिद्ध हुआ कि बाद में 'सूरमा भोपाली' नाम की एक पूरी फिल्म भी बनाई गई, जिसे स्वयं जगदीप ने निर्देशित किया।

जगदीप एक ऐसे कलाकार थे, जो जहां भी जाते, अपनी छाप छोड़कर आते थे। अपने डायलॉग, चेहरे के हावभाव और चुटीले अंदाज से दर्शकों के दिलों में उतरना उन्हें बखूबी आता था।

जगदीप के 'सूरमा भोपाली' बनने से पहले उन्होंने एक लंबा और संघर्षपूर्ण सफर तय किया। उनका असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। उनका जन्म 29 मार्च 1939 को मध्य प्रदेश के दतिया नामक छोटे कस्बे में हुआ। उनके पिता एक बैरिस्टर थे। पिता के निधन के बाद परिवार की स्थिति काफी खराब हो गई। उस समय जगदीप बहुत छोटे थे। उनकी मां ने मुंबई के अनाथालय में रोटियां बनाकर घर चलाना शुरू किया। अपनी मां की मेहनत को देख कर, छह साल की उम्र में जगदीप ने कमाने का निश्चय किया और मुंबई की सड़कों पर कंघी, साबुन और खिलौने बेचना शुरू किया।

इस दौरान एक व्यक्ति की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने फिल्म में काम करने का प्रस्ताव दिया। उस समय B.R. चोपड़ा को 'अफसाना' फिल्म के एक दृश्य के लिए बाल कलाकारों की आवश्यकता थी। जगदीप ने केवल इसलिए काम किया क्योंकि सामान बेचकर वह एक दिन में केवल एक या डेढ़ रुपये कमा पाते थे, जबकि सेट पर उन्हें ताली बजाने के तीन रुपये मिल रहे थे। यहीं से उनका फिल्मी सफर शुरू हुआ।

इसके बाद उन्होंने 'दो बीघा जमीन', 'मुन्ना', 'हम पंछी एक डाल के', और 'आर पार' जैसी फिल्मों में छोटे लेकिन यादगार किरदार निभाए। 'हम पंछी एक डाल के' में शानदार अभिनय के लिए उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी सम्मानित किया।

एवीएम प्रोडक्शन ने उन्हें 'भाभी', 'बरखा' और 'बिंदिया' जैसी फिल्मों में हीरो के तौर पर पेश किया। इन फिल्मों में उन्होंने सीधे-सादे लड़के का किरदार निभाया। फिल्म 'भाभी' का गाना 'चल उड़ जा रे पंछी' आज भी लोगों को याद है, जिसमें वह अभिनेत्री नंदा के साथ नजर आए थे। लेकिन जब उन्होंने शम्मी कपूर की फिल्म 'ब्रह्मचारी' में कॉमेडी की, तो दर्शकों ने मान लिया कि वह हीरो से ज्यादा एक बेहतरीन हास्य अभिनेता हैं। इसके बाद उन्होंने कॉमेडियन के रूप में अपनी पहचान बना ली।

जगदीप 1960 और 70 के दशक में फिल्मों में हास्य का दूसरा नाम बन गए। उन्होंने 'तीन बहुरानियां', 'खिलौना', 'जीने की राह', 'गोरा और काला', 'इंसानियत', 'चला मुरारी हीरो बनने' जैसी कई फिल्मों के जरिए दर्शकों का मनोरंजन किया।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने फिल्मों में खलनायक का किरदार भी निभाया। 'शिकवा', 'धोबी डॉक्टर', 'मंदिर-मस्जिद' जैसी फिल्मों में गंभीर और नकारात्मक रोल भी किए। उन्हें रामसे ब्रदर्स की हॉरर फिल्मों का भी पसंदीदा चेहरा माना जाता था। 'पुराना मंदिर' और '3डी सामरी' में उनके किरदार को खूब सराहा गया।

लगभग 70 साल तक फिल्मों से जुड़े रहने के बाद जगदीप ने 2017 में अपनी आखिरी फिल्म 'मस्ती नहीं सस्ती' में काम किया, जिसमें उनके साथ जॉनी लीवर, कादर खान, शक्ति कपूर और रवि किशन जैसे कलाकार थे।

जगदीप ने 8 जुलाई 2020 को 81 वर्ष की आयु में मुंबई स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम, उनका हास्य और उनके निभाए गए 'सूरमा भोपाली' जैसे किरदार आज भी सभी के दिलों में जीवित हैं।

Point of View

बल्कि उनके संघर्षों ने हमें यह सिखाया कि कठिनाइयों के बावजूद सफलता संभव है। उनका काम आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है, और यह दर्शाता है कि असली प्रतिभा कभी मरती नहीं है।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

जगदीप का असली नाम क्या था?
जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था।
जगदीप ने किस फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की?
जगदीप ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 'अफसाना' फिल्म से की थी।
जगदीप को किन फिल्मों में देखा गया था?
जगदीप को 'शोले', 'दो बीघा जमीन', 'ब्रह्मचारी' जैसी कई फिल्मों में देखा गया।
जगदीप का सबसे प्रसिद्ध किरदार कौन सा है?
जगदीप का सबसे प्रसिद्ध किरदार 'सूरमा भोपाली' है।
जगदीप का निधन कब हुआ?
जगदीप का निधन 8 जुलाई 2020 को हुआ।