क्या जीएसटी सुधार से जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी सुधार से कृषि और हस्तशिल्प में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है।
- किसानों और कारीगरों की आजीविका को मजबूती मिल रही है।
- स्थानीय उत्पाद अब घरेलू और वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी हैं।
- पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
- महिलाओं की हिस्सेदारी में वृद्धि हो रही है।
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। एक आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में हस्तशिल्प, कृषि, पर्यटन और स्थानीय विशिष्टताओं के लिए जीएसटी दर को 5 प्रतिशत करने से प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हो रही है, लागत में कमी आ रही है और बाजारों का विस्तार हो रहा है।
जीएसटी सुधार से कारीगरों और किसानों की आजीविका को मजबूती मिल रही है, निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है और रोजगार में वृद्धि हो रही है, जिससे क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित करते हुए स्थायी विकास सुनिश्चित हो रहा है।
जीआई-टैग वाले पश्मीना शॉल, डोगरा पनीर और बसोहली पेंटिंग जैसे अनेक विरासत उत्पाद अब अपनी संस्कृतिक पहचान को संरक्षित करते हुए घरेलू और वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र 3.5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार देता है, जिसमें महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 45 प्रतिशत है।
कश्मीर घाटी में, विशेष रूप से कनिहामा में, लगभग 5,000 बुनकर जीआई-टैग वाली बेहतरीन पश्मीना शॉल बनाते हैं। जीएसटी दर में 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक की कमी इन शॉल को अधिक किफायती बनाती है, जिससे आजीविका की सुरक्षा और कश्मीर की प्रतिष्ठित विरासत को संरक्षित करते हुए मशीन-निर्मित नकल के खिलाफ मांग, निर्यात और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।
कठुआ जिले के बसोहली में निर्मित जीआई-टैग वाली बसोहली पेंटिंग में लगभग 500 स्थानीय कलाकार काम कर रहे हैं। जीएसटी सुधार के साथ ये पेंटिंग अधिक सस्ती और विपणन योग्य हो जाएंगी, जिससे कारीगरों की आजीविका को समर्थन मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग, कुपवाड़ा, कुलगाम और बडगाम में अखरोट की खेती एक महत्वपूर्ण आर्थिक भूमिका निभाती है, जो सालाना लगभग 120 करोड़ रुपए का व्यापार पैदा करती है और लगभग 10,000 लोगों को रोजगार प्रदान करती है। जीएसटी दर को 5 प्रतिशत करने से कश्मीरी अखरोट घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अधिक किफायती और प्रतिस्पर्धी हो गए हैं, जिससे किसानों के लिए उच्च मांग और बेहतर कीमतों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
भारत में बादाम उत्पादन में जम्मू-कश्मीर की हिस्सेदारी 91 प्रतिशत से अधिक है। अकेले यह क्षेत्र लगभग 5,500 लोगों को रोजगार प्रदान करता है। कश्मीरी बादाम पैकेजिंग उद्योग को इस जीएसटी सुधार से लाभ मिल रहा है।
जम्मू के प्रसिद्ध मंदिरों से लेकर कश्मीर घाटी की झीलों और बागों तक, जम्मू-कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता इसे विश्व स्तर पर एक शीर्ष पर्यटन स्थल बनाती है। वर्ष 2023 के दौरान पर्यटकों का आगमन 2.1 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024 में 2.3 करोड़ हो गया है। क्षेत्र 70,000 से अधिक रोजगारों का समर्थन करता है और राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15 प्रतिशत का योगदान देता है।
पर्यटन और होटल टैरिफ पर जीएसटी सुधार के साथ 7,500 रुपए तक स्टे के लिए यात्रा पहले की तुलना में अधिक किफायती होगी, ऑक्यूपेंसी को बढ़ावा मिलेगा और लंबे समय तक स्टे को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह स्थानीय व्यवसायों के लिए राजस्व बढ़ाएगा और इस क्षेत्र में रोजगार को मजबूत करेगा।
उधमपुर जिले की विशिष्टता और जीआई-टैग वाला उत्पाद डोगरा पनीर है। जीएसटी सुधार के साथ स्थानीय डेयरी उत्पादकों और छोटे पैमाने पर पनीर निर्माताओं को कम उत्पादन लागत, बेहतर लाभ मार्जिन और घरेलू एवं विशेष निर्यात बाजारों में बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा क्षमता से लाभ मिलने की संभावना है।