क्या झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भूमि सर्वेक्षण में तेजी लाने का निर्देश दिया?

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क्या झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भूमि सर्वेक्षण में तेजी लाने का निर्देश दिया?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि भूमि सर्वेक्षण का कार्य तेजी से आधुनिक तकनीक के माध्यम से पूरा किया जाए। यह निर्णय जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया गया, जिसमें पुराने भूमि रिकॉर्ड्स को अपडेट करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

Key Takeaways

  • झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भूमि सर्वेक्षण में तेजी लाने का निर्देश दिया है।
  • आधुनिक तकनीक का उपयोग कर सर्वेक्षण कार्य को पूरा किया जाएगा।
  • जनहित याचिका ने भूमि रिकॉर्ड्स को अपडेट करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
  • सरकार द्वारा दो जिलों में सर्वेक्षण कार्य पूरा किया गया है।
  • अगली सुनवाई १६ सितंबर को होगी।

रांची, १७ जून (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भूमि सर्वेक्षण का कार्य आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से तेजी से पूरा करने का आदेश दिया है।

चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से भूमि सर्वेक्षण को नई टेक्नोलॉजी के जरिए अपडेट करने की प्रगति पर जानकारी मांगी।

झारखंड सरकार ने बताया कि भूमि सर्वेक्षण की नई तकनीक की जानकारी हासिल करने और इसके पहलुओं को समझने के लिए तीन टीमों को बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक भेजा जा रहा है। हाल ही में एक टीम ने आंध्र प्रदेश में भूमि सर्वे की टेक्नोलॉजी पर एक सम्मेलन में भाग लिया है। इसके बाद झारखंड में भी आधुनिक तकनीक आधारित फार्मूले पर कार्य किया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि सरकार को इस प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए। अगली सुनवाई १६ सितंबर को निर्धारित करते हुए कोर्ट ने कार्य की प्रगति से अवगत कराने का आदेश दिया है। झारखंड में भूमि सर्वेक्षण कराने और इसके रिकॉर्ड को अपडेट करने के लिए गोकुल चंद नामक व्यक्ति ने जनहित याचिका दायर की है।

याचिका में उल्लेख किया गया है कि वर्ष १९३२ में भूमि का सर्वेक्षण हुआ था। इसके बाद झारखंड में १९७५ से भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। भूमि के रिकॉर्ड में अपडेट न होने के कारण रैयतों को काफी परेशानी हो रही है और भूमि विवाद के मामले बढ़ रहे हैं।

पिछली सुनवाई में सरकार ने बताया था कि राज्य में सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। दो जिलों लातेहार और लोहरदगा में सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। अमीन के कई पद रिक्त हैं और सर्वेक्षण के लिए तकनीकी दक्षता वाले कर्मचारियों की कमी के कारण सर्वेक्षण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है।

इस पर कोर्ट ने भूमि राजस्व सुधार विभाग के प्रधान सचिव को शपथ पत्र दाखिल कर बताने को कहा था कि सर्वेक्षण कार्य पूरा करने के लिए अमीन सहित अन्य कर्मियों की नियुक्ति कब तक की जाएगी और पुरानी टेक्नोलॉजी को कब तक अपडेट किया जाएगा।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार को भूमि सर्वेक्षण के कार्य में तेजी लाने की आवश्यकता है। यह न केवल रैयतों के लिए आवश्यक है, बल्कि भूमि विवादों को कम करने में भी सहायक होगा। आधुनिक तकनीक का उपयोग करके यह कार्य तेजी से और प्रभावी तरीके से किया जा सकता है।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड हाईकोर्ट ने भूमि सर्वेक्षण के लिए क्या निर्देश दिए?
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि भूमि सर्वेक्षण का कार्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से तेजी से पूरा किया जाए।
भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया कब शुरू हुई थी?
झारखंड में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया १९७५ से शुरू हुई थी।
क्या सरकार ने सर्वेक्षण कार्य में प्रगति दिखाई है?
सरकार ने बताया है कि दो जिलों लातेहार और लोहरदगा में सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है।
जनहित याचिका में क्या मुद्दा उठाया गया है?
याचिका में पुराने भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करने और भूमि विवादों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की गई है।
कोर्ट ने सरकार को अगली सुनवाई कब तक का समय दिया?
कोर्ट ने अगली सुनवाई १६ सितंबर को निर्धारित की है।