क्या झारखंड के रिम्स की हालत सुधरेगी? हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव और निदेशक को तलब किया

सारांश
Key Takeaways
- रिम्स अस्पताल की स्थिति गंभीर है।
- हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव और निदेशक को तलब किया।
- रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
- डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाई गई है।
- सरकारी फंड का सही उपयोग आवश्यक है।
रांची, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) की खराब स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और स्वास्थ्य सचिव तथा रिम्स निदेशक को तलब किया है।
वर्षों से डॉक्टरों, शिक्षकों, तकनीकी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों के रिक्त रहने और आवश्यक चिकित्सकीय उपकरणों की कमी के संबंध में दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को 6 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब पर असंतोष जताते हुए कहा, 'अगर रिम्स जैसे संस्थान में नियुक्तियां नहीं हो रही हैं, तो आम नागरिकों के स्वास्थ्य का संरक्षण कैसे होगा?'
कोर्ट ने यह भी पूछा कि वर्षों से रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की गई। सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा कि रिम्स को नियमित रूप से फंड दिया जाता है, लेकिन संस्थान द्वारा यह फंड वापस कर दिया गया है। कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और इसे नीतिगत लापरवाही करार दिया।
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता ज्योति शर्मा द्वारा दायर की गई है। उनके अधिवक्ता दीपक दुबे ने अदालत को बताया कि रिम्स में डेंटल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज और पैरामेडिकल विंग में सैकड़ों पद वर्षों से खाली हैं। डेंटल कॉलेज में प्रोफेसर के 37, एडिशनल प्रोफेसर के 9, एसोसिएट प्रोफेसर के 56 और असिस्टेंट प्रोफेसर के 43 पद रिक्त हैं। इसके अलावा, नर्सिंग कॉलेज में 144 ग्रुप-सी नर्सिंग स्टाफ, 44 पैरामेडिकल स्टाफ और 418 ग्रुप-डी कर्मियों की कमी है।
कोर्ट ने रिम्स में नॉन-प्रैक्टिसिंग एलाउंस लेने वाले डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस करने पर भी सख्ती दिखाई। अदालत को बताया गया कि कई डॉक्टर निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते हुए निजी क्लीनिक चला रहे हैं। कुछ ने अस्पताल में समय भी तय कर रखा है और इसके बावजूद बाहर प्रैक्टिस करते हैं।
इस पर कोर्ट ने रिम्स निदेशक को आदेश दिया कि ऐसे सभी डॉक्टरों की बायोमेट्रिक उपस्थिति की पूरी रिपोर्ट अगली सुनवाई में प्रस्तुत की जाए।