क्या जॉनस्टाउन फाइल्स ने 900 जिंदगियों का अंत किया? 1978 की खामोशी जिसने दुनिया को हिलाकर रख दिया
सारांश
Key Takeaways
- धर्म और अंधविश्वास का दुरुपयोग खतरनाक परिणाम ला सकता है।
- नेतृत्व की जिम्मेदारी समझना आवश्यक है।
- कम्यून में स्वतंत्रता की कमी एक गंभीर समस्या है।
- सामाजिक न्याय और मानवाधिकार की रक्षा जरूरी है।
- इतिहास से सीखना हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जॉनस्टाउन के इतिहास में 18 नवंबर 1978 की तारीख एक काली छाया की तरह है। यह वह भयावह दिन था जब दक्षिण अमेरिका के गुयाना के घने जंगलों में एक कम्यून ने एक दर्दनाक और भयानक घटना का सामना किया। धर्म, आस्था और नेतृत्व के नाम पर, लोगों ने अंधविश्वास के अंधेरे में अपनी सीमाएँ पार कर दीं।
जगह का नाम था जॉनस्टाउन, और इसके नेता थे जिम जोन्स, जिसने खुद को ईश्वर के समान बताकर लोगों की सोच पर हावी हो गया था।
जिम जोन्स ने अमेरिका में "पीपल्स टेम्पल" नामक संगठन की स्थापना की। शुरू में वह सामाजिक समानता, नस्लीय न्याय और गरीबी के खिलाफ आवाज उठाते थे। उनकी करिश्माई आवाज और बदलाव की बातें सुनकर हजारों लोग उनके पीछे जुट गए। धीरे-धीरे जोन्स ने एक ऐसी भीड़ इकट्ठा कर ली, जिसने उन्हें सवालों से परे मान लिया। समय के साथ उनका नियंत्रण बढ़ता गया और उन्होंने अपने अनुयायियों को अमेरिका छोड़कर गुयाना के जंगलों में एक "नया स्वर्ग" बसाने का आदेश दिया। इस तरह जॉनस्टाउन की स्थापना हुई—दुनिया से अलग, जोन्स की सोच के अधीन।
लेकिन इस "स्वर्ग" की वास्तविकता कुछ महीनों में ही सामने आ गई। जॉनस्टाउन में रहने वाले लोगों की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई; उनकी चिट्ठियां, बातचीत और गतिविधियों पर निगरानी रखी जाने लगी। खाने की कमी, काम का बोझ, सजा और डर—यह सब इतना बढ़ गया कि कई लोग वहां से भागना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं कर सके। अमेरिका में स्थिति की खबरें फैलने लगीं और नवंबर 1978 में अमेरिकी कांग्रेसमैन लियो रयान ने जॉनस्टाउन का दौरा किया, यह जानने के लिए कि वहां वास्तव में क्या हो रहा है।
रयान का दौरा जोन्स को बुरी तरह नागवार गुजरा। जब रयान ने कुछ लोगों को वहां से निकालने की कोशिश की, तो जोन्स ने अपने समर्थकों को हमला करने का आदेश दिया। एयरस्ट्रिप पर गोलियों की बौछार हुई और कांग्रेसमैन रयान सहित कई लोग मारे गए। यह वह क्षण था जिसने जोन्स को पागलपन की उस अंतिम हद तक पहुंचा दिया, जहां से वापसी संभव नहीं थी।
उसी शाम, जोन्स ने अपने अनुयायियों को क्रांतिकारी आत्महत्या का आदेश दिया। लाउडस्पीकर पर उनकी आवाज गूंजती रही—एक ऐसी आवाज जिसे पहले लोग ईश्वर के समान मानते थे, लेकिन अब वही आवाज उन्हें मौत की ओर धकेल रही थी। जॉनस्टाउन में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को जहर मिले एक पेय जिसे ‘फ्लेवर ऐड’ कहा गया, पीने के लिए मजबूर किया गया। इस पेय में साइनाइड मिलाया गया था। मांओं ने पहले अपने छोटे बच्चों को पिलाया, फिर खुद पिया। कुछ लोगों ने विरोध किया, लेकिन हथियारों के आगे कोई नहीं बच सका।
सुबह जब गुयाना पुलिस पहुंची, तो वहां 900 से अधिक शव मिले। एक पूरे समुदाय का अंत हुआ। मृतकों में सबसे अधिक संख्या बच्चों की थी। जिम जोन्स गनशॉट वूंड से मरा पाया गया। यह आज भी एक बहस का विषय है कि उसने खुद को मारा या किसी समर्थक ने उस पर गोली चलाई।
लियो रयान की मौत के बाद अमेरिका ने एक सरकारी जांच आयोग का गठन किया। इस आयोग ने "द रिपोर्ट ऑफ द हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ऑन द जॉन्सटाउन ट्रेजिडी (1979)" नाम से विस्तृत रिपोर्ट जारी की। एफबीआई ने जॉनस्टाउन से हजारों दस्तावेज बरामद किए, जिसमें ऑडियो टेप और रिकॉर्डिंग शामिल थे। एफओआईए (फ्रीडम ऑफ इंफोर्मेशन एक्ट) दस्तावेजों में ये जॉनस्टाउन फाइल्स के नाम से जाने जाते हैं। इसमें जोन्स के भाषण, आदेश, बैठकों की रिकॉर्डिंग और असली पत्र शामिल हैं।