क्या केस जीतने से ज्यादा जरूरी न्याय मिलना है: जस्टिस सूर्यकांत

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क्या केस जीतने से ज्यादा जरूरी न्याय मिलना है: जस्टिस सूर्यकांत

सारांश

जस्टिस सूर्यकांत ने लखनऊ में दीक्षांत समारोह में न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को आत्मविश्वास से बचने की सलाह दी, जिससे वे पराजय से बच सकें। उनके विचारों ने न्यायपालिका में कार्यरत लोगों के लिए महत्वपूर्ण सबक दिए।

Key Takeaways

  • न्याय का महत्व केस जीतने से अधिक है।
  • अति आत्मविश्वास पराजय का कारण बन सकता है।
  • हर फैसला सैकड़ों मामलों की दिशा निर्धारित करता है।
  • मौन की आदत विकसित करना आवश्यक है।
  • किसान का बेटा भी न्यायपालिका के सर्वोच्च पद तक पहुँच सकता है।

लखनऊ, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। डॉ. राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के चौथे दीक्षांत समारोह में न्याय और संविधान का महत्व स्पष्ट रूप से देखा गया। सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर कहा कि केवल केस लड़ने या जीतने से कहीं अधिक आवश्यक है कि न्याय मिले। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि अति आत्मविश्वास से बचना चाहिए, क्योंकि यह एक वकील को पराजय की ओर भी ले जा सकता है।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "मैंने अपने अनुभव में देखा है कि अति आत्मविश्वास के कारण मैंने एक केस हार दिया। तभी से मैंने एक नोटबुक रखने की आदत डाली।" उन्होंने वकीलों को सलाह दी कि वे हमेशा खुद से यह सवाल करें कि क्या उन्होंने अपनी तैयारी ठीक से की थी और क्या उनकी दलीलें पर्याप्त थीं। उन्होंने कहा कि हर फैसला केवल एक केस नहीं, बल्कि सैकड़ों अन्य मामलों की दिशा निर्धारित करता है।

उन्होंने आगे कहा कि 15 वर्षों की प्रैक्टिस के बाद वकील को यह विचार करना चाहिए कि क्या उनके केस में आने वाला जजमेंट आगे के 100 केसों को सुलझाने में मदद करेगा। याद रखें, हर क्लाइंट आपके पास केस लेकर आता है, लेकिन कुछ केस ऐसे होते हैं जो आपको सोचने पर मजबूर करते हैं कि उनका स्तर क्या है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि जब उन्हें 2023 में विश्वविद्यालय का विजिटर नियुक्त किया गया था, तब यहाँ ऑडिटोरियम नहीं था। उन्होंने बताया, "मेरे सुझाव पर विश्वविद्यालय को यह ऑडिटोरियम मिला है, जो अब 2200 सीटों की क्षमता वाला भव्य सभागार बन चुका है।"

जस्टिस नाथ ने मुस्कराते हुए कहा कि पिछले वर्ष फ्लाइट में देरी के कारण वह समारोह में शामिल नहीं हो सके थे, लेकिन इस बार समय पर पहुँचकर बेहद प्रसन्न हैं। उन्होंने छात्रों को कहा कि अगर वे समाज के लिए कोई कार्य करेंगे, तो उन्हें भीतर से संतोष और प्रसन्नता का अनुभव होगा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण कुमार भंसाली ने कहा कि विधि का क्षेत्र समय के साथ कई महत्वपूर्ण सबक सिखाता है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि न्यायिक जीवन में मौन की आदत विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।

राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अमरपाल सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि जस्टिस सूर्यकांत एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि एक किसान का बेटा भी देश की न्यायपालिका के सर्वोच्च पद तक पहुँच सकता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को हाल ही में तीन ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ प्रोजेक्ट मिले हैं और कई नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स भी स्वीकृत हुए हैं।

Point of View

बल्कि न्याय प्रदान करना भी होता है। उनकी सलाह हमें आत्मनिरीक्षण करने के लिए प्रेरित करती है, जो कि हमारे न्याय प्रणाली की मजबूती के लिए आवश्यक है।
NationPress
02/11/2025

Frequently Asked Questions

जस्टिस सूर्यकांत ने छात्रों को कौन सी सलाह दी?
उन्होंने छात्रों को अति आत्मविश्वास से बचने की सलाह दी, क्योंकि यह पराजय का कारण बन सकता है।
क्या जस्टिस सूर्यकांत का अनुभव महत्वपूर्ण है?
जी हां, उनका अनुभव वकीलों के लिए महत्वपूर्ण सबक प्रदान करता है कि हर फैसला केवल एक केस नहीं, बल्कि कई अन्य मामलों की दिशा निर्धारित करता है।