प्रेग्नेंट महिलाओं को करवा चौथ के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- प्रेग्नेंट महिलाओं को निर्जला व्रत से बचना चाहिए।
- थोड़ा-थोड़ा फलाहार लेना आवश्यक है।
- सरगी में पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- यदि थकान या अन्य समस्याएं महसूस हों तो डॉक्टर से संपर्क करें।
- हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में विशेष सावधानी आवश्यक है।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। करवा चौथ एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे हिंदू महिलाएं मनाती हैं। इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत काफी कठिन होता है, क्योंकि महिलाएं चांद के दर्शन तक निर्जला रहती हैं। इस दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए निर्जला रहना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गाइनेकोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने बुधवार को राष्ट्र प्रेस के साथ एक विशेष चर्चा में बताया कि प्रेग्नेंट महिलाओं को करवा चौथ के व्रत के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
डॉ. पाठक ने प्रेग्नेंट महिलाओं को निर्जला व्रत से बचने की सलाह देते हुए कहा, "निर्जला व्रत करना बच्चे और मां दोनों के लिए सुरक्षित नहीं है। पूरे दिन थोड़े-थोड़े फलाहार लेते रहना चाहिए। फलों में केला और सेब बेहद फायदेमंद हैं। इसके अलावा, दूध, नारियल पानी, लस्सी, छाछ और थोड़ी-थोड़ी देर में पानी का सेवन करते रहना चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखना अनिवार्य है।"
उन्होंने आगे कहा, "जब सुबह सरगी ली जाती है, तो प्रेग्नेंट महिलाओं को पौष्टिक चीजें खानी चाहिए और तली-भुनी चीजों से बचना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन जैसे चपाती और पोहा और प्रोटीन युक्त भोजन जैसे पनीर और दही का सेवन करना चाहिए, वहीं फलों में केला और सेब शामिल करें।"
डॉ. पाठक ने सलाह दी कि पूजा के समय ज्यादा समय तक खड़े या बैठे न रहें। यदि थकान, चक्कर आना, पेट में बच्चे का कम हिलना, धड़कन तेज होना या सिर में दर्द महसूस होता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
उन्होंने यह भी बताया कि हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। यदि मां को एनीमिया या हाई ब्लड प्रेशर है, तो डॉक्टर के परामर्श के बिना व्रत न रखें। चांद के दर्शन के बाद जब खाना खाएं, तो उसे हल्का रखिए।