क्या 25 जून भारतीय लोकतंत्र के लिए काला धब्बा है? आपातकाल का तानाशाही चेहरा : जगमोहन राजू

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को गंभीर नुकसान पहुँचाया।
- सत्ता का अहंकार लोकतंत्र को खतरे में डाल सकता है।
- राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान का दुरुपयोग किया गया।
- भविष्य की पीढ़ी को इतिहास से सीखने की आवश्यकता है।
- कांग्रेस को इस गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए।
पटियाला, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। आपातकाल की वर्षगांठ पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पंजाब के नेताओं ने पटियाला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जहाँ उन्होंने कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया। पंजाब भाजपा के महासचिव जगमोहन राजू ने कहा कि 25 जून भारतीय लोकतंत्र के चेहरे पर एक ऐसा काला धब्बा है, जिसे आज भी देश भुला नहीं सका।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए जगमोहन राजू ने कहा कि संविधान, जो किसी भी लोकतंत्र की आत्मा है, पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक स्वार्थ और कुर्सी के संरक्षण के लिए हमला किया। संविधान में आपातकाल लगाने का प्रावधान केवल बाहरी युद्ध, आंतरिक विद्रोह या राष्ट्रीय संकट जैसी स्थितियों के लिए था। लेकिन इंदिरा गांधी ने इसे अपने व्यक्तिगत कारणों से लागू किया, जो संविधान की मूल भावना के विरुद्ध था।
भाजपा नेता ने बताया कि 1971 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी की जीत को विपक्षी नेता राज नारायण ने कोर्ट में चुनौती दी थी। 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी पाया और चुनाव लड़ने के लिए 6 साल तक के लिए अयोग्य ठहरा दिया। इसके बाद, जब सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, तो इंदिरा गांधी ने सत्ता के डर से 25 जून की रात को आपातकाल लागू कर दिया। इसके तहत देशभर में विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गई और लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया।
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान की आत्मा को कुचला गया। पत्रकारों को जेलों में डाल दिया गया, समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगाई गई और जो भी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करता, उसे प्रताड़ित किया गया। कांग्रेस पार्टी को देश से इस ऐतिहासिक गलती के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेता, जो आज लोकतंत्र की बात करते हैं, उन्हें अपने अतीत पर विचार करना चाहिए और आत्मचिंतन करना चाहिए।
जगमोहन राजू ने आगे कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब सत्ता का अहंकार बढ़ता है तो लोकतंत्र किस तरह संकट में पड़ सकता है। देश की युवा पीढ़ी को इस काले अध्याय को जानना और समझना आवश्यक है, ताकि भविष्य में भारत में लोकतंत्र पर फिर से हमला न हो।