क्या अब शोध पूसा में नहीं, किसानों की जरूरत के हिसाब से होगा? : शिवराज सिंह

सारांश
Key Takeaways
- शोध अब किसानों की जरूरतों के अनुसार होगा।
- किसानों को नकली खाद की सूचना देने के लिए टोल-फ्री नंबर दिया गया है।
- अगले वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है।
- सीड एक्ट और पेस्टिसाइड एक्ट में सख्त सजा का प्रावधान होगा।
- किसानों की आय बढ़ाने के लिए अनुसंधान को प्राथमिकता दी जाएगी।
नई दिल्ली, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शोध अब पूसा में नहीं, बल्कि किसानों की जरूरत के अनुसार होगा, इसके लिए वन टीम, वन टास्क का सिद्धांत लागू किया जाएगा। अनुसंधान अब डिमांड ड्रिवन होगा।
शिवराज सिंह ने किसानों से अपील की है कि यदि किसी स्थान पर नकली खाद या बीज की आशंका हो, तो तुरंत 18001801551 पर फोन करें। उन्होंने कहा कि बेईमानों को माफ नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, सीड एक्ट और पेस्टिसाइड एक्ट में सख्त सजा का प्रावधान किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने आईसीएआर के स्थापना दिवस पर सभी वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज का दिन आनंद और गर्व का है। जब हम गीत सुनते हैं, तो उसमें जो जय है, वह सिर्फ गीत के लिए नहीं, बल्कि जय आईसीएआर के लिए है। 80 करोड़ लोगों को निःशुल्क राशन मिल रहा है, और वे भी जय आईसीएआर कह रहे हैं। पहले हम अमेरिका के पीएल 480 गेहूं खाने पर मजबूर थे, लेकिन आज देश में अन्न के भंडार भर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन हरित क्रांति के दौरान 1966-79 तक 2.7 मिलियन टन बढ़ा। 2014 से 2025 तक यह बढ़कर 8.1 मिलियन टन प्रति वर्ष हो गया है। क्लाइमेट चेंज, बढ़ता तापमान, और अर्बनाइजेशन के बावजूद उत्पादन बढ़ा है।
शिवराज सिंह ने बताया कि फल और सब्जी के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। दूध उत्पादन में 2014-25 तक 10.2 मिलियन टन प्रति वर्ष बढ़ रहा है। उन्होंने किसानों और वैज्ञानिकों को इसका श्रेय दिया।
उन्होंने कहा कि हमें खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी है। भविष्य के लिए हमें धरती को भी स्वस्थ रखना होगा। किसान कहते हैं कि ऐसी मशीनें बनाई जाएं जो नकली खाद का पता लगा सकें।
शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है किसानों का हित। आईसीएआर के स्थापना दिवस को किसानों की जरूरत के अनुसंधान का संकल्प लेकर अर्थपूर्ण बनाना चाहिए।