क्या जीएसटी से देश में करदाताओं की संख्या बढ़ी और व्यापार करना आसान हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना है।
- करदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है।
- व्यापार में सुविधा बढ़ी है।
- सरकार ने समय पर सुधार किए हैं।
- रिफंड प्रक्रिया में तेजी लानी होगी।
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इन्फोमेरिक्स रेटिंग के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने मंगलवार को कहा कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) पिछले एक दशक में देश में किए गए सबसे महत्वपूर्ण सुधारों में से एक है। इसके परिणामस्वरूप करदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है और व्यापार करने में पहले से अधिक सुविधा हुई है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मनोरंजन शर्मा ने कहा, "पिछले दस वर्षों में देश में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिनमें जीएसटी विशेष महत्व रखता है। इसके आंकड़े भी यही दर्शाते हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में 22.08 लाख करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रहित हुआ, जिसमें औसत जीएसटी कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रुपए रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9 प्रतिशत से अधिक है। वहीं, पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी कलेक्शन 11.37 लाख करोड़ रुपए था।"
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा समय-समय पर किए गए सुधारों के फलस्वरूप जीएसटी में करदाताओं की संख्या बढ़कर 1.51 करोड़ हो गई है, जबकि जीएसटी लागू होने के समय यह संख्या लगभग 60 लाख थी।
राष्ट्र प्रेस से अर्थशास्त्री ने बताया कि जीएसटी लागू होने के प्रारंभिक समय में कुछ समस्याएं आईं थीं, लेकिन सरकार ने प्रभावी कदम उठाकर उन्हें दूर कर लिया। इसके बाद जीएसटी का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है, जो देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
हाल ही में डेलॉइट द्वारा किए गए एक सर्वे में कहा गया है कि 85 प्रतिशत व्यापारियों का मानना है कि जीएसटी ने उनके व्यवसाय पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इस पर शर्मा ने कहा कि वह इस रिपोर्ट को सही मानते हैं। पहले अनेक प्रकार के मल्टीपल टैक्स रेट होते थे, लेकिन अब जीएसटी के आगमन से इनका केंद्रीकरण हो गया है और वन नेशन वन टैक्स का सिद्धांत लागू हो गया है, जिससे व्यापार करना और आसान हुआ है।
उन्होंने अंत में कहा कि पिछले सात-आठ वर्षों में जीएसटी की प्रक्रिया काफी सुचारू रही है, लेकिन यदि हमें इसे और बेहतर तरीके से आगे बढ़ाना है, तो सरलीकरण पर ध्यान देना होगा और करदाताओं की शिकायतों का समाधान करना होगा। साथ ही रिफंड्स में तेजी लानी होगी।