क्या पंजाब सरकार का नशे के खिलाफ अभियान सफल हो रहा है? : हरपाल सिंह चीमा

सारांश
Key Takeaways
- नशे के खिलाफ अभियान की शुरुआत 1 मार्च को हुई थी।
- 25,542 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
- 5,000 नशीली दवाओं से संबंधित एफआईआर दर्ज की गईं।
- आम आदमी पार्टी की सरकार नशे के खिलाफ ठोस कदम उठा रही है।
- लैंड पूलिंग नीति को वापस ले लिया गया।
चंडीगढ़, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने 'युद्ध नशे के विरुद्ध' अभियान की सफलताओं पर चर्चा करते हुए महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की।
उन्होंने बताया कि 1 मार्च को शुरू हुए इस अभियान में पंजाब सरकार ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। लगभग 16,322 मामले दर्ज किए गए हैं, 25,542 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, धन की वसूली की गई है और कई अवैध संपत्तियों को ध्वस्त किया गया है।
चीमा ने यह भी बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सेव पंजाब पोर्टल लॉन्च किया है, जहाँ लोगों ने जानकारी साझा की। इससे 5,000 नशीली दवाओं से संबंधित एफआईआर दर्ज की गईं और 5,000 मामले दर्ज किए गए। यह दर्शाता है कि पंजाब के लोग इस लड़ाई में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। हमारा लक्ष्य स्पष्ट है कि नशे को खत्म करना है। आम आदमी पार्टी की सरकार अपने कार्यकाल के पहले दिन से इस समस्या को समाप्त करने में लगी हुई है।
उन्होंने पूर्ववर्ती अकाली-भाजपा गठबंधन पर एक दशक तक नशीले पदार्थों के व्यापार को संरक्षण देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार में नशे के खिलाफ पूर्ण मजबूती से युद्ध स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। पहले कांग्रेस और अकाली सरकारों के समय घर-घर तक नशा पहुँचाया गया था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार के आने के बाद 1 मार्च से 'नशा विरुद्ध युद्ध' अभियान चल रहा है, जिसके तहत अब तक 182 नशा तस्करों की संपत्तियाँ जब्त या ध्वस्त की जा चुकी हैं।
लैंड पूलिंग नीति पर बोलते हुए हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि यह नीति शहरी विकास के लिए लाई गई थी, लेकिन जब किसानों को यह नीति पसंद नहीं आई या समझ में नहीं आई, तो सरकार ने इसे वापस ले लिया। 'आप' सरकार किसानों की प्राथमिकता के आधार पर ही काम करती है। हमारी सरकार ने किसानों को 24 घंटे बिजली देने का कार्य किया है और नहरों का जाल बिछाकर खेतों तक पानी पहुँचाया है।
उन्होंने आगे कहा कि लैंड पूलिंग नीति नई नहीं है, यह पहले अकाली-भाजपा सरकार के समय भी लाई गई थी, हालांकि उस समय कम जमीन ली गई थी। कांग्रेस सरकार के दौरान यह नीति प्राइवेट कंपनियों के लिए खोली गई थी।