क्या बिहार के सोनपुर मेले में स्विस कॉटेज पर्यटकों को भा रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- सोनपुर मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है।
- पर्यटकों के लिए लक्जरी स्विस कॉटेज की सुविधा उपलब्ध है।
- मेला की शुरुआत हर साल कार्तिक पूर्णिमा से होती है।
- सुरक्षा व्यवस्था के लिए पर्यटन विभाग ने विशेष इंतजाम किए हैं।
- कपल्स के लिए विशेष टूर पैकेज की पेशकश की गई है।
हाजीपुर, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सोनपुर मेला, जो हरिहर क्षेत्र के तहत विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है, एक बार फिर से देश-विदेश के पर्यटकों और श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहा है। यह मेला, जो एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है, पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा के लिए पर्यटन विभाग द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने पर्यटक ग्राम का निर्माण किया है, जहां पर लक्जरी मिनी दरबारी और राजवाड़ी टेंट पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहे हैं। इन टेंटों में जापान सहित अन्य देशों से आए पर्यटक ठहर कर मेले का आनंद ले रहे हैं।
विभाग के अनुसार, अब तक इस स्विस कॉटेज में जापान के 14 और जर्मनी के 8 पर्यटक मेले का आनंद ले चुके हैं। इसके अलावा, चार भारतीय पर्यटक भी स्विस कॉटेज में ठहरे हैं।
पर्यटकों के लिए मेला स्थल के निकट ही अत्याधुनिक लक्जरी स्विस कॉटेज का निर्माण किया गया है। इन टेंटों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिनकी भव्यता के कारण इन्हें मिनी दरबारी और राजवाड़ी कहा गया है। सोनपुर में कई राजसी अंदाज वाले टेंट लगाए गए हैं। इन टेंटों में सभी पंचसितारा होटल की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
देशी पर्यटकों के लिए इसका किराया 3000 रुपए प्रति रात और विदेशी पर्यटकों के लिए 5000 रुपए प्रति रात तय किया गया है। इन वातानुकूलित टेंट्स में अटैच्ड बाथरूम, 24 घंटे बिजली-पानी, भोजन आदि के साथ सुरक्षा की पूरी व्यवस्था है।
बिहार पर्यटन विकास निगम पटना ने सोनपुर मेला तक आने-जाने के लिए विशेष लक्जरी वाहनों का संचालन किया है। ये वाहन पटना से पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं।
इस बार सोनपुर मेले में कपल्स के लिए विशेष टूर पैकेज भी पेश किया गया है। केवल 6000 रुपए प्रति कपल में ठहरने, एसी वाहन, अनुभवी गाइड, नाश्ता, लंच, स्नैक्स और डिनर की सुविधा दी जा रही है।
यह ध्यान देने योग्य है कि प्राचीन काल से सोनपुर में गंगा और गंडक नदियों के संगम पर यह मेला हर साल कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होता है। लाखों श्रद्धालु इस पवित्र संगम में स्नान करने और एशिया के सबसे बड़े पशु मेले का अनुभव करने के लिए यहां आते हैं।