क्या विपक्षी नेताओं को सदन में बोलने से रोका जा रहा है? प्रियंका गांधी वाड्रा का आरोप

सारांश
Key Takeaways
- विपक्षी नेताओं को बोलने का अवसर नहीं मिलना
- सत्ता पक्ष द्वारा व्यवधान उत्पन्न करना
- लोकतंत्र में सबकी आवाज़ का महत्व
- भाजपा का पलटवार
- राजनीतिक संवाद की आवश्यकता
नई दिल्ली, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर राजनीति का दौर जारी है। इस संदर्भ में कांग्रेस सांसद और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी विपक्षी नेता सदन में अपनी बात रखना चाहते हैं, तो उन्हें बोलने नहीं दिया जाता है।
प्रियंका गांधी ने गुरुवार को संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, "जब भी विपक्षी नेता बोलने की कोशिश करते हैं, उन्हें बोलने का अवसर नहीं मिलता। हम इस पर चर्चा करने की मांग करते रहे हैं और सरकार को इस पर सहमत होना चाहिए। पिछले सत्र में मैंने देखा था कि व्यवधान सत्ता पक्ष की ओर से उत्पन्न होता है। वे ऐसे विषय चुनते हैं, ताकि हम उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करें। इसके बाद हंगामा होता है और सदन स्थगित कर दिया जाता है। यह उनके लिए पूरी तरह से अनुकूल है।"
यह पहली बार नहीं है जब किसी विपक्षी नेता ने सरकार पर सदन में बोलने से रोकने का आरोप लगाया है। इससे पहले, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इसी प्रकार का आरोप लगाया था कि उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है।
राहुल गांधी ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था, "सवाल यह है कि जो लोग सदन में रक्षा मंत्री को बोलने देते हैं, वे हमें बोलने का अवसर क्यों नहीं देते? मैं विपक्ष का नेता हूं, मेरा यह अधिकार है, फिर भी मुझे कभी बोलने नहीं दिया जाता। यह एक नया तरीका है।"
हालांकि, विपक्षी नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा ने पलटवार किया। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है और वे बस सदन की कार्यवाही को बाधित करना चाहते हैं। सत्र के दौरान अराजकता फैलाना कांग्रेस की आदत बन गई है।