क्या मान कौर भारत की रनिंग क्वीन हैं, जिन्होंने 93 साल की उम्र में दौड़ने की शुरुआत की?

सारांश
Key Takeaways
- उम्र केवल एक संख्या है
- इच्छाशक्ति से बड़ी उपलब्धियाँ संभव हैं
- प्रेरणा से भरी कहानी
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता
- युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। किसी भी कार्य को करने के लिए उम्र महज एक संख्या है। इसकी आवश्यकता होती है दृढ़ इच्छाशक्ति की। इसी इच्छाशक्ति के सहारे एक व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कर सकता है। मान कौर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिन्होंने दौड़ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
मान कौर का जन्म 1 मार्च 1916 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भाग एक कुशल महिला के रूप में बिताया। लेकिन, 93 वर्षप्रेरणास्रोत के रूप में भी प्रसिद्ध किया।
मान कौर के बेटे गुरुदेव सिंह भी धावक रहे हैं। उन्हें दौड़ता देख मान के मन में दौड़ने की इच्छा जागृत हुई। 93 साल की उम्र में उन्होंने दौड़ना शुरू किया, उनकी पहली दौड़ 100 मीटर की थी, जिसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। 101 वर्षन्यूजीलैंड के ऑकलैंड शहर में 100 मीटर की रेस जीतकर सबको चौंका दिया। ऑकलैंड में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स गेम्स में मान कौर का प्रदर्शन अद्भुत था; उन्होंने यह रेस 1 मिनट 14 सेकंड में पूरी की। यह उनके करियर का 17वां गोल्ड मेडल था। ऑकलैंड की मीडिया ने उन्हें 'चंडीगढ़ का करिश्मा' कहा।
साल 2016 में, अमेरिका के सैक्रामेंटो में 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में भी मान कौर ने भाग लिया और गोल्ड मेडल जीते। सितंबर 2016 में कनाडा के वैंकूवर में हुई मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में मान कौर ने 100 मीटर, 200 मीटर रेस, भाला फेंक और गोला फेंक में चार गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश और शहर चंडीगढ़ का नाम रोशन किया।
101 वर्ष की उम्र में मान कौर ने जर्मनी में विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स में गोल्ड हासिल किया। उन्होंने 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते हैं। 2019 में भारत सरकार ने उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया और उन्हें 'रनिंग क्वीन ऑफ इंडिया' का खिताब भी दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'फिट इंडिया मूवमेंट' के उद्घाटन के समय उन्हें आमंत्रित किया था। मान कौर का 31 जुलाई 2021 को निधन हो गया।