क्या इस्लाम में दबाव की कोई गुंजाइश नहीं है? छांगुर बाबा ने कराया अवैध धर्मांतरण: शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी

सारांश
Key Takeaways
- इस्लाम में जबरदस्ती का कोई स्थान नहीं है।
- धर्म परिवर्तन के लिए लालच या दबाव पूरी तरह गलत है।
- पैगम्बर ने कभी भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया।
- इस्लाम का प्रचार स्वेच्छा से होना चाहिए।
- सामाजिक बहिष्कार ऐसे लोगों के खिलाफ एक उपाय हो सकता है।
बरेली, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मुस्लिम समुदाय के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पर अवैध धर्मांतरण के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने छांगुर बाबा के कथित कार्यों की कड़ी निंदा की और कहा कि इस्लाम किसी भी प्रकार के जुल्म, लालच या दबाव के माध्यम से धर्म परिवर्तन की अनुमति नहीं देता।
मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा, “इस्लाम में जबरदस्ती का कोई स्थान नहीं है। पैगम्बर इस्लाम की हदीस में यह स्पष्ट है कि इस्लाम एक सहज और सरल धर्म है, जिसमें दबाव या जबरदस्ती की कोई गुंजाइश नहीं। पैगम्बर ने अपने जीवन में कभी किसी गैर-मुस्लिम को इस्लाम अपनाने के लिए लालच या दबाव का सहारा नहीं लिया।”
उन्होंने कहा कि पैगम्बर सभी के साथ समान व्यवहार करते थे और कठिन समय में सभी की मदद के लिए तत्पर रहते थे। मौलाना ने पैगम्बर के शासनकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय गैर-मुस्लिमों के जान-माल की सुरक्षा मुसलमानों की जिम्मेदारी थी। उन्होंने एक ऐतिहासिक घटना का उल्लेख किया, जिसमें एक गैर-मुस्लिम की हत्या के बाद पैगम्बर ने हत्यारे मुसलमान को सजा-ए-मौत का आदेश दिया था। पैगम्बर ने कभी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया।
मौलाना ने यह भी स्पष्ट किया कि इस्लाम का प्रचार हर व्यक्ति का अधिकार है, लेकिन यह प्रचार किसी भी तरह के लालच या दबाव के बिना होना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस्लाम के प्रचारक को इस्लाम की विशेषताओं का वर्णन करने की अनुमति है, लेकिन किसी भी गैर-मुस्लिम को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करना पूरी तरह से गलत और गैर-इस्लामी है।”
उन्होंने छांगुर बाबा के कथित अवैध धर्मांतरण को न केवल गैर-कानूनी, बल्कि इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। मौलाना ने कहा कि छांगुर बाबा ने इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचाया और कई मुसलमानों को संकट में डाल दिया। ऐसे लोग इस्लाम की दृष्टि में गुनहगार हैं।
उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करें और इस्लाम के नाम पर गलत कार्य करने वालों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं।