क्या मिहिर सेन ने तैराकी में वकालत को छोड़कर देश का परचम लहराया?
सारांश
Key Takeaways
- मिहिर सेन ने वकालत को छोड़कर तैराकी में सफलता हासिल की।
- उन्होंने एक ही कैलेंडर वर्ष में 5 महाद्वीपों के महासागरों को पार किया।
- उनकी तैराकी ने भारत में नई पहचान बनाई।
- मिहिर सेन साहस और दृढ़ संकल्प के प्रतीक हैं।
- उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्रसिद्ध तैराक मिहिर सेन ने 31 अक्टूबर 1966 को पनामा को पार किया था। एक ही कैलेंडर वर्ष में 5 महाद्वीपों के महासागरों को तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन साहस और दृढ़ संकल्प के प्रतीक बने। उनकी उपलब्धियों ने भारत में तैराकी को नई पहचान दिलाई।
16 नवंबर 1930 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में जन्मे मिहिर सेन ने अपने पिता की तरह डॉक्टरी को पेशा बनाने के बजाय वकालत को चुना। उन्होंने ओडिशा से लॉ में ग्रेजुएशन किया। आगे की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड गए।
जब मिहिर ब्रिटेन पहुंचे, तो उन्होंने इंग्लिश चैनल पार करने वाली पहली अमेरिकी महिला फ्लोरेंस चैडविक के बारे में एक लेख पढ़ा। इस लेख ने उन्हें तैराकी शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
पढ़ाई पूरी होने के बाद मिहिर ने वकालत शुरू की, लेकिन उनकी तैराकी में रुचि बढ़ती गई। वह एक अद्भुत तैराक बन गए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करने लगे।
27 सितंबर 1958 को मिहिर सेन ने इंग्लिश चैनल पार किया और इसके लिए उन्होंने 14 घंटे 45 मिनट का समय लिया। यह उपलब्धि उन्हें रातों-रात प्रसिद्धि दिलाने में मददगार साबित हुई। वह ऐसा करने वाले पहले एशियाई थे।
इंग्लिश चैनल पार करने के बाद, 6 अप्रैल को मिहिर ने श्रीलंका के तलाईमन्नार से भारत के धनुषकोटि तक तैराकी की, जिसमें उन्हें 25 घंटे 36 मिनट
इसके बाद, 24 अगस्त 1966 को मिहिर ने 8 घंटे 1 मिनट में स्पेन और मोरक्को के बीच स्थित जिब्राल्टर डार-ई-डेनियल को पार किया।
मिहिर सेन ने 12 सितंबर 1966 को डारडेनेल्स को तैरकर पार किया और वे ऐसा करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति बने। नौ दिन बाद, 21 सितंबर को उन्होंने वास्फोरस को भी पार किया।
29 अक्टूबर 1966 को मिहिर ने 34 घंटे 15 मिनट में पनामा कैनाल को पार किया।
तैराकी में उनकी उत्कृष्टता के लिए मिहिर सेन को 1959 में 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया और 1967 में उन्हें 'पद्मभूषण' से नवाजा गया। वह एक्सप्लोरर्स क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। मिहिर सेन 11 जून 1997 को 66 वर्ष की आयु में जीवन से विदा हो गए।