क्या इस्लाम में खुदकुशी हराम है और मासूमों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाह है?
सारांश
Key Takeaways
- इस्लाम में खुदकुशी हराम है।
- मासूमों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाह है।
- आत्मघाती हमलों को आतंकवाद माना जाता है।
- केंद्र सरकार को आतंकी हमलों को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
- जांच जारी है और कई खुलासे होने की संभावना है।
हैदराबाद, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली में हुए ब्लास्ट के मुख्य आरोपी उमर नबी के एक पुराने वीडियो पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
वीडियो में उमर ने आत्मघाती हमला को ‘शहादत’ और ‘गलत समझा गया अमल’ के रूप में प्रस्तुत किया है। ओवैसी ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “इस्लाम में खुदकुशी सख्त हराम है और मासूमों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाह है। आत्मघाती बमबारी को ‘शहादत’ कहना इस्लाम का अपमान है। यह किसी भी प्रकार ‘गलत समझा गया’ नहीं है। यह पूरी तरह आतंकवाद है और देश के कानून के खिलाफ जघन्य अपराध है।”
उन्होंने आगे केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकी हमले को रोकने में विफल रहने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, “पार्लियामेंट में गृह मंत्री अमित शाह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' और 'ऑपरेशन महादेव' का हवाला देते हुए कहा था कि पिछले छह महीनों में कोई कश्मीरी युवक आतंकी संगठन में शामिल नहीं हुआ। फिर यह नया आतंकी मॉड्यूल कहां से आया?”
उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली जैसे संवेदनशील शहर में आईईडी लगाने वाला यह समूह खुफिया एजेंसियों की नाक के नीचे कैसे तैयार हुआ? इसकी जानकारी न होने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
दिल्ली ब्लास्ट की जांच जारी है। अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसके कारण इसे भी जांच के दायरे में रखा गया है। इस बीच, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्दीकी को 13 दिन की हिरासत में लिया है, जिसमें कई खुलासे होने की संभावना है। सिद्दीकी को आतंकी हमले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है।
ईडी ने जावेद अहमद सिद्दीकी को मंगलवार रात दिल्ली की साकेत कोर्ट में पेश किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) शीतल चौधरी ने बुधवार रात करीब एक बजे जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी रिमांड पर भेजने का आदेश दिया।
अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किया है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाना चाहिए।