क्या विकसित भारत शासन, वितरण और विनिर्माण में गुणवत्ता और उत्कृष्टता का पर्याय है?

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क्या विकसित भारत शासन, वितरण और विनिर्माण में गुणवत्ता और उत्कृष्टता का पर्याय है?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में मुख्य सचिवों के सम्मेलन में 'विकसित भारत' की परिकल्पना को साकार करने पर जोर दिया। उन्होंने मानव पूंजी, आत्मनिर्भरता और उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य केंद्र-राज्य साझेदारी को मजबूत करना और आर्थिक प्रगति को गति देना है।

Key Takeaways

  • विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करना आवश्यक है।
  • मानव पूंजी आर्थिक विकास का मूल चालक है।
  • आत्मनिर्भरता पर जोर देना चाहिए।
  • 'मेड इन इंडिया' का लेबल गुणवत्ता का प्रतीक होना चाहिए।
  • युवाओं की आजीविका के लिए पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए।

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली में मुख्य सचिवों के 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन 26 से 28 दिसंबर तक दिल्ली के पूसा में आयोजित किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करने और विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए केंद्र-राज्य साझेदारी को गहरा करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ज्ञान, कौशल, स्वास्थ्य और क्षमताओं से युक्त मानव पूंजी आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति का मूलभूत चालक है, जिसे सरकार के समग्र समन्वित दृष्टिकोण के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए।

सम्मेलन में 'विकसित भारत के लिए मानव पूंजी' के व्यापक विषय पर चर्चा हुई। भारत की जनसांख्यिकीय श्रेष्ठता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लगभग 70 प्रतिशत आबादी कामकाजी आयु वर्ग में है, जिससे एक अनूठा ऐतिहासिक अवसर उत्पन्न होता है, जो आर्थिक प्रगति के साथ मिलकर भारत की विकसित भारत की यात्रा को महत्वपूर्ण गति प्रदान कर सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत अपनी युवा आबादी की शक्ति के बल पर "सुधार की रफ्तार" पर सवार हो चुका है और इस जनसांख्यिकी को सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता है। यह सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित हो रहा है जब देश अगली पीढ़ी के सुधारों का गवाह बन रहा है और एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने विकसित भारत को गुणवत्ता और उत्कृष्टता का पर्याय बताया और सभी हितधारकों से औसत दर्जे के परिणामों से आगे बढ़ने की अपील की। शासन, सेवा वितरण और विनिर्माण में गुणवत्ता पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि 'मेड इन इंडिया' का लेबल उत्कृष्टता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का प्रतीक बनना चाहिए।

उन्होंने आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि भारत को उत्पादों में शून्य दोष और न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। इससे 'मेड इन इंडिया' का लेबल गुणवत्ता का प्रतीक बन जाए और 'शून्य प्रभाव, शून्य दोष' के प्रति हमारी प्रतिबद्धता मजबूत हो। उन्होंने केंद्र और राज्यों से आयात पर निर्भरता कम करने और विकसित भारत की परिकल्पना के अनुरूप आर्थिक मजबूती बढ़ाने के लिए घरेलू उत्पादन हेतु 100 उत्पादों की पहचान करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कौशल विकास रणनीतियों को बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए राज्य और वैश्विक स्तर पर कौशल की मांग का आकलन करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिभाओं के सृजन के लिए शिक्षा जगत और उद्योग जगत के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने युवाओं की आजीविका के लिए पर्यटन की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। भारत की समृद्ध विरासत और इतिहास में शीर्ष वैश्विक पर्यटन स्थलों में शामिल होने की अपार क्षमता है। उन्होंने राज्यों से कम से कम एक वैश्विक स्तर का पर्यटन स्थल विकसित करने और संपूर्ण पर्यटन पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय खेल कैलेंडर को वैश्विक खेल कैलेंडर के अनुरूप ढालना महत्वपूर्ण है। भारत 2036 ओलंपिक खेलों की मेज़बानी के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि युवा खिलाड़ियों की पहचान करके उन्हें प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे उस समय प्रतिस्पर्धा कर सकें। राज्यों से आग्रह किया गया कि अगले 10 वर्षों में इन खेलों में निवेश किए जाएं, तभी भारत को ऐसे खेल आयोजनों में वांछित परिणाम प्राप्त होंगे। स्थानीय और जिला स्तर पर खेल आयोजनों और टूर्नामेंटों का आयोजन और प्रचार-प्रसार करना तथा खिलाड़ियों का डेटा रखना एक जीवंत खेल वातावरण का निर्माण करेगा।

Point of View

यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण स्पष्ट है और यह दर्शाता है कि कैसे केंद्र और राज्य मिलकर विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। यह न केवल आर्थिक मजबूती का प्रश्न है, बल्कि यह सामाजिक प्रगति का भी है।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन में क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सम्मेलन सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करने और विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत की जनसांख्यिकीय श्रेष्ठता क्या है?
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कामकाजी आयु वर्ग में है, जो आर्थिक प्रगति का अवसर प्रदान करती है।
आत्मनिर्भरता का क्या महत्व है?
आत्मनिर्भरता भारत को उत्पादों में शून्य दोष और न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ आगे बढ़ने में मदद करती है।
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