क्या पुणे पुल हादसे ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया?

सारांश
Key Takeaways
- पुल हादसे में चार लोगों की मौत हुई।
- 51 लोग घायल हुए हैं।
- राज्य सरकार ने मुआवजे की घोषणा की।
- कुंडमाला पुल का निर्माण 1993 में हुआ था।
- नए पुल के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है।
पुणे, 16 जून (राष्ट्र प्रेस)। पुणे जिला प्रशासन ने महाराष्ट्र सरकार को पुल हादसे से संबंधित अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि रविवार को इंद्रायणी नदी पर स्थित 33 साल पुराना पुल ढहने के कारण चार लोगों की जान गई और 51 लोग घायल हुए।
यह घटना दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे हुई, जब लगभग 125 पर्यटक पुणे जिले की मावल तहसील के कुंडमाला में इकट्ठा हुए थे। मृतकों में से तीन की पहचान हो गई है, जबकि एक की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। मृतकों के नाम चंद्रकांत साठले, रोहित माने, और विहान माने हैं।
लगातार बारिश के कारण राहत और बचाव कार्य रविवार रात को रोक दिया गया था, जिसे सोमवार सुबह फिर से शुरू किया गया।
महाराष्ट्र के पुनर्वास राज्य मंत्री मकरंद पाटिल ने कहा, "पुल 30 साल से अधिक पुराना था और इसे पुणे जिला परिषद द्वारा बनाया गया था। प्रशासन ने लोगों से इसे न इस्तेमाल करने की अपील की थी, लेकिन बारिश के दिन मौज-मस्ती करने आए कुछ लोगों ने इसका उपयोग किया। यह एक दुखद घटना है। प्रशासन बचाव कार्यों में जुटा हुआ है।"
घटनास्थल पर मौजूद राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन ने पहले ही घोषणा की है कि राज्य सरकार मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देगी।
पुणे जिला प्रशासन के अनुसार, कुंडमाला पुल का निर्माण 1990 में शुरू हुआ और इसे 1993 में जनता के लिए खोला गया। हालांकि, प्रशासन ने 2023 में पाया कि लगभग 30 वर्षों के उपयोग के बाद यह पुल अब सुरक्षित नहीं है। लोगों को इससे दूर रहने के लिए कहा गया था।
प्रशासन ने 8 करोड़ रुपये की लागत से एक नए पुल के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। लोक निर्माण विभाग ने टेंडर जारी कर दिया है और बारिश के बाद काम शुरू होगा।