क्या ट्रंप ने एच-1बी वीजा नियमों को सख्त किया है, अब 1,00,000 डॉलर सालाना शुल्क लगेगा?

सारांश
Key Takeaways
- एच-1बी वीजा के लिए अब प्रति वर्ष 1,00,000 डॉलर का शुल्क होगा।
- नए नियमों के अनुसार, वीजा की अवधि अधिकतम छह साल तक होगी।
- गोल्ड कार्ड प्रोग्राम की शुरूआत की गई है, जिसमें अधिक शुल्क का प्रावधान है।
- इस निर्णय का प्रभाव भारतीय पेशेवरों और अमेरिकी कंपनियों पर पड़ेगा।
- ट्रंप का उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता देना है।
वाशिंगटन, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका में कार्यरत भारतीय तकनीकी पेशेवरों और बड़ी कंपनियों के लिए एक गंभीर चुनौती सामने आई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा प्रोग्राम में महत्वपूर्ण परिवर्तन के लिए एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस घोषणा पत्र के अनुसार, अब प्रत्येक आवेदन के लिए प्रति वर्ष 1,00,000 डॉलर का शुल्क अदायगी करना आवश्यक होगा। ट्रंप का दावा है कि इसका उद्देश्य विदेशी श्रमिकों की बजाय अमेरिकी नागरिकों को रोजगार देना है।
व्हाइट हाउस में आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारी नौकरियां हमारे नागरिकों को मिलें। हमें कुशल श्रमिकों की आवश्यकता है और यह कदम उसी दिशा में है।”
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लूटनिक ने भी इस निर्णय का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अब बड़ी कंपनियों के लिए विदेशी श्रमिकों को सस्ते में काम पर रखना आसान नहीं होगा, क्योंकि उन्हें पहले सालाना 1 लाख डॉलर का शुल्क देना होगा और उसके बाद कर्मचारियों को वेतन देना होगा। यह आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद नहीं है। आप किसी को प्रशिक्षित करेंगे, हमारे देश के किसी अच्छे विश्वविद्यालय से हाल ही में स्नातक हुए किसी व्यक्ति को प्रशिक्षित करेंगे, अमेरिकियों को प्रशिक्षित करेंगे। हमारी नौकरियां छीनने के लिए लोगों को लाना बंद करें। यही यहाँ की नीति है।
नए नियमों के अनुसार, एच-1बी वीज़ा अधिकतम छह साल के लिए मान्य रहेगा, चाहे नया आवेदन हो या नवीनीकरण। आदेश में बताया गया है कि इस वीज़ा का गलत उपयोग किया जा रहा था, जिससे अमेरिकी श्रमिकों को हानि हो रही थी और यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था व सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है।
ट्रंप और लूटनिक दोनों ने जोर देकर कहा कि सभी प्रमुख तकनीकी कंपनियां इस प्रक्रिया में “शामिल” हैं।
ट्रंप ने एक नया “गोल्ड कार्ड प्रोग्राम” भी आरंभ किया है। इसमें कोई व्यक्ति 10 लाख डॉलर देकर वीज़ा प्राप्त कर सकता है, जबकि कंपनियों को 20 लाख डॉलर का भुगतान करना होगा।
वर्तमान में हर साल लगभग 85 हजार नए एच-1बी वीजा जारी किए जाते हैं, जिनमें से सबसे बड़ा हिस्सा भारतीयों को मिलता है। प्यू रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में लगभग 73 प्रतिशत एच-1बी वीजा भारतीयों को मिले थे, जबकि चीन के नागरिकों को 12 प्रतिशत मिले।
इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका में कार्यरत हजारों भारतीय पेशेवरों और वहां की तकनीकी कंपनियों पर गहरा पड़ सकता है।