क्या ट्रंप-पुतिन बैठक के बाद भारत पर प्रतिबंधों का दबाव कम हो सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- ट्रंप और पुतिन की बैठक महत्वपूर्ण थी।
- भारत पर लगे प्रतिबंधों का दबाव कम हो सकता है।
- रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर सेकेंडरी सैंक्शन का खतरा घट सकता है।
- यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर असर पड़ने की संभावना है।
- भारत और अमेरिका के संबंधों में नरमी देखने को मिल सकती है।
वाशिंगटन डीसी, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शुक्रवार को अलास्का में लगभग तीन घंटे की बैठक का आयोजन हुआ। अमेरिका के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक के परिणामस्वरूप भारत पर लगे प्रतिबंधों का दबाव, जो कि रूसी तेल की खरीद से संबंधित है, कम हो सकता है।
उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्लॉस लारेस ने कहा कि आगे चलकर प्रतिबंधों के प्रभाव में कमी आ सकती है।
उन्होंने कहा, "पुतिन को उम्मीद थी कि या तो प्रतिबंध लागू नहीं होंगे या आधिकारिक तौर पर हटा लिए जाएंगे। यदि ये हटा लिए जाते हैं या इन्हें नजरअंदाज किया जाता है, तो फिर संभावना नहीं है कि ट्रंप भारत, चीन या किसी अन्य देश पर सेकेंडरी सैंक्शन (द्वितीयक प्रतिबंध) लगाएंगे।"
प्रोफेसर लारेस का मानना है कि भारत इस बैठक के परिणामों से संतुष्ट हो सकता है।
उन्होंने कहा, "यदि मैं प्रधानमंत्री मोदी होता, तो मैं यह कहता कि सेकेंडरी सैंक्शन कम से कम थोड़े समय के लिए हटा लिए जाएंगे।"
प्रोफेसर लारेस ने आगे कहा, "यह समझाना मुश्किल है कि आप रूस से तेल खरीदने वालों पर सेकेंडरी सैंक्शन कैसे लगाते हैं, जबकि उस तेल के स्रोत पर अब कोई प्रतिबंध नहीं है।"
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका-रूस आर्थिक संबंधों का पुनः आरंभ होना यूरोप की प्रतिबंध व्यवस्था को कमजोर कर सकता है। यूरोपीय संघ ने अब तक 18 प्रतिबंध पैकेज जारी किए हैं। यदि अमेरिका रूस के साथ सामान्य आर्थिक संबंध खोलने का निर्णय लेता है, तो इससे यूरोपीय संघ का कठोर रुख कमजोर होगा।
टफ्ट्स विश्वविद्यालय के फ्लेचर स्कूल में रूस और यूरेशिया कार्यक्रम के एसोसिएट निदेशक एरिक बुराकोवस्की का मानना है कि ट्रंप अभी भी रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने का विकल्प बनाए रख सकते हैं।
उन्होंने चेतावनी दी, "भारत पर लगाया गया 25 फीसदी का भारी टैरिफ एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और अमेरिका-भारत संबंधों के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। इसलिए, हम भारत के प्रति ट्रंप प्रशासन के रुख में नरमी देख सकते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह पूरी तरह से बंद हो जाएगा और यह बातचीत के आगे बढ़ने पर निर्भर करेगा।"
बुराकोवस्की ने पुतिन-ट्रंप की यह बैठक ऐतिहासिक बताई।
उन्होंने कहा कि पुतिन ने 10 वर्षों में पहली बार अमेरिकी धरती पर कदम रखा है। यह निरंतर अविश्वास के बावजूद अमेरिका-रूस संबंधों में बदलाव का संकेत हो सकता है।