उदित राज का सवाल: आरएसएस का प्रमुख आखिर क्यों कोई दलित या महिला नहीं?

सारांश
Key Takeaways
- उदित राज ने आरएसएस की निंदा की।
- महात्मा गांधी की हत्या की विचारधारा पर सवाल उठाया।
- आरएसएस का प्रमुख कभी दलित या महिला नहीं रहा।
- संगठन का केवल सवर्णों के हितों पर ध्यान केंद्रित।
- गांधी जी का अपमान स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता उदित राज ने गुरुवार को गांधी जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसका उत्सव मनाने का कोई औचित्य है, क्योंकि यह संगठन सम्मान के योग्य नहीं है।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह खारिज नहीं किया जा सकता कि आरएसएस की विचारधारा के कारण ही महात्मा गांधी की हत्या हुई थी।
उदित राज ने कहा कि संघ के १०० वर्ष पूरे होने पर जो सिक्का जारी किया गया है, वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। आज गांधी जी हमारे बीच नहीं हैं, फिर भी उनका अपमान किया जा रहा है। उदित राज ने यह भी कहा कि इस देश के कल्याण में संघ की कोई भूमिका नहीं रही है। इस संगठन ने केवल सवर्ण सत्ता को बनाए रखने का प्रयास किया है।
कांग्रेस नेता ने आरएसएस को एक देशद्रोही संगठन करार देते हुए कहा कि यह संगठन विश्व में हिंदू समुदाय के हितैषी होने का दावा करता है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है।
यह संगठन केवल उच्च जाति के लोगों के हितों को ही प्राथमिकता देता है। क्या आप लोगों ने कभी सोचा है कि आज तक इस संगठन का प्रमुख कोई दलित या महिला क्यों नहीं रही? आखिर ऐसा क्यों?
हर बार इस संगठन की कमान एक ब्राह्मण समुदाय से आने वाले व्यक्ति के हाथों में ही रही है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि आरएसएस को एक सभ्य समाज में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज के समाज में इस संगठन को महिमामंडित किया जा रहा है। निश्चित रूप से इससे उन लोगों का मन दुखी हो रहा होगा, जो महात्मा गांधी के मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहे हैं।