क्या बिहार चुनाव 2025 में विधानसभा में राजद पर विश्वास और लोकसभा में भाजपा को प्राथमिकता मिलेगी? जानें उजियारपुर का समीकरण

सारांश
Key Takeaways
- उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में राजद का दबदबा है।
- भाजपा को लोकसभा चुनावों में मतदाता प्राथमिकता देते हैं।
- जातिगत समीकरणों का चुनाव परिणामों पर प्रभाव होता है।
- 2025 के विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला संभव है।
- मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा।
पटना, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के समस्तीपुर जिले की उजियारपुर सीट हमेशा अपनी चुनावी कहानी को लेकर चर्चा में रहती है। यहां के मतदाता विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में एक ही पार्टी या नेता को दो अलग नजरिए से देखते हैं। उजियारपुर, जो दलसिंहसराय अनुमंडल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, सदियों पुरानी मिथिला क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति का अभिन्न अंग है। लेकिन जब राजनीति की बात आती है, तो यह सीट एक पहेली बन जाती है, जहां स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दे सीधे तौर पर टकराते हैं.
उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र, जो 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया, एक अपेक्षाकृत नई सीट है, लेकिन यहां की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की पकड़ प्रारंभ से ही मजबूत रही है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में, मतदाताओं ने लगातार राजद पर आस्था व्यक्त की है.
इस सीट के पहले विधानसभा चुनाव में राजद के दुर्गा प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राम लखन महतो को हराया था.
इसके बाद, आलोक कुमार मेहता ने इस सीट पर अपनी स्थिति को मजबूत किया। 2020 के चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत को बनाए रखा। इस बार उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शील कुमार रॉय को व्यापक अंतर से पराजित किया। तब उपेंद्र कुशवाहा ने मायावती और ओवैसी के साथ मिलकर एक फ्रंट बनाया था, लेकिन उन्हें बहुत कम वोट मिले। यह लगातार तीसरी बार था जब इस सीट पर राजद ने जीत हासिल की.
उजियारपुर विधानसभा की राजनीति में जातिगत समीकरण बहुत महत्वपूर्ण हैं। उजियारपुर लोकसभा की बात करें तो यादव और कुशवाहा वोट यहां प्रमुख हैं, लेकिन विधानसभा में इनके साथ-साथ ब्राह्मण और राजपूत वोट भी निर्णायक माने जाते हैं.
यहां के शहरी मतदाता केवल 5.34 प्रतिशत हैं। 2020 के चुनाव में कुल 2,99,159 पंजीकृत मतदाता थे, जिसमें अनुसूचित जाति (एससी) की भागीदारी 19.23 प्रतिशत थी। मुस्लिम मतदाताओं की भागीदारी लगभग 10 प्रतिशत थी.
इस सीट की एक दिलचस्प बात यह है कि यहां के मतदाता विधानसभा में राजद पर भरोसा करते हैं, वहीं लोकसभा में भाजपा को वरीयता देते हैं.
उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नित्यानंद राय ने राजद के आलोक कुमार मेहता को बड़े अंतर से हराकर उजियारपुर से सांसद बने। यहां की जनता ने लोकसभा चुनावों में 2014 से लेकर 2024 तक भाजपा उम्मीदवारों पर विश्वास
यह सीट दलसिंहसराय मुख्यालय से 14 किमी और जिला मुख्यालय समस्तीपुर से 15 किमी दूर स्थित है। राज्य की राजधानी पटना से यह लगभग 95 किमी दूर है.
यहां के निवासियों की आजीविका मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है। हथकरघा उद्योग जैसे छोटे पैमाने के उद्यम भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं.
उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र में उजियारपुर प्रखंड के साथ-साथ दलसिंहसराय प्रखंड की 10 ग्राम पंचायतें और दलसिंहसराय अधिसूचित क्षेत्र शामिल हैं.
इन रुझानों के आधार पर, अगर कोई बड़ा बदलाव नहीं आता है, तो 2025 के विधानसभा चुनाव में राजद की स्थिति उजियारपुर में मजबूत रह सकती है, क्योंकि विधानसभा चुनावों में राजद इस सीट पर लगातार जीतता आया है.
हालांकि, भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को भी उम्मीद है। इस बार इस सीट से बिहार की नई पार्टी जन सुराज ने भी अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है, तो यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. जन सुराज ने इस सीट से दुर्गा प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
इस बार बिहार में दो चरणों में मतदान होने हैं। पहले चरण के लिए 6 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को बिहार चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे.