क्या बिहार चुनाव 2025 में पातेपुर सीट पर भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला होगा?

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क्या बिहार चुनाव 2025 में पातेपुर सीट पर भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला होगा?

सारांश

पातेपुर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास और सामाजिक संरचना समझने के लिए इस लेख में जानें कि कैसे भाजपा और राजद के बीच चुनावी मुकाबले ने इस क्षेत्र को प्रभावित किया है। क्या 2025 के चुनाव में पातेपुर की राजनीति में नया मोड़ आएगा?

Key Takeaways

  • पातेपुर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास बहुत समृद्ध है।
  • भाजपा और राजद के बीच कड़ी टक्कर पिछले डेढ़ दशक से चल रही है।
  • यहां के मतदाता सामाजिक संरचना में विविधता प्रदान करते हैं।
  • धार्मिक स्थल श्रीराम-जानकी मंदिर और बाबा दरवेश्वरनाथ धाम का विशेष महत्व है।
  • कृषि आधारित अर्थव्यवस्था इस क्षेत्र की पहचान है।

पटना, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वैशाली जिले में स्थित पातेपुर विधानसभा क्षेत्र अपने समृद्ध राजनीतिक इतिहास, कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह सीट उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से, पातेपुर का गठन 1951 में हुआ था। 1952 से 2020 तक, इस सीट ने 19 बार चुनाव देखे, जिसमें 1952 और 1991 के उपचुनाव भी शामिल हैं।

यहां कांग्रेस, राजद और जनता दल ने तीन-तीन बार, जबकि भाजपा, जनता पार्टी और संयुक्त समाजवादी पार्टी ने दो-दो बार जीत हासिल की। सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, सीपीआई और लोजपा ने एक-एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया। वर्तमान में भाजपा के लखेंद्र रौशन विधायक हैं, जिन्होंने 2020 में राजद के शिवचंद्र राम को हराया था। इससे पहले 2015 में इस सीट पर राजद और 2010 के चुनाव में बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की थी। कुल मिलाकर, बीते डेढ़ दशक में इस सीट पर भाजपा और राजद उम्मीदवारों में कड़ी टक्कर रही है।

1985 के बाद के चुनावों में, यह सीट कई बार कांग्रेस, जदयू, राजद, लोजपा और भाजपा के बीच पलटी। खास तौर पर प्रेमा चौधरी और महेंद्र बैठा जैसे नेताओं का इस सीट पर दबदबा रहा है। पातेपुर में रविदास, पासवान, कुर्मी और कोरी मतदाता बहुसंख्यक हैं, जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं।

बूढ़ी गंडक और बाया नदियों के किनारे बसा यह क्षेत्र उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध है। यहां धान, गेहूं और मक्का की खेती अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। स्थानीय बाजार के अलावा, अनाज का व्यापार मुख्य रूप से महनार बाजार में होता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की बात करें, तो पातेपुर का श्रीराम-जानकी मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। यह मंदिर भव्य और प्राचीन है, जिसमें भगवान राम, लक्ष्मण, मां जानकी और हनुमान की मूर्तियां स्थापित हैं। यह रामानंदी संप्रदाय के संतों के लिए भी तीर्थस्थल है। हर रामनवमी पर पातेपुर हाईस्कूल मैदान में एक माह तक मेला आयोजित होता है।

इसके अलावा, पातेपुर प्रखंड के डभैच्छ स्थित बाबा दरवेश्वरनाथ धाम लगभग पांच सौ साल पुराना है। यह तिरहुत, सारण और कोशी प्रमंडल में धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है।

Point of View

जो निश्चित रूप से राष्ट्रीय राजनीति में भी एक संकेत है।
NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

पातेपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक दल कौन हैं?
पातेपुर विधानसभा क्षेत्र में मुख्यतः भाजपा, राजद, कांग्रेस और जनता दल जैसे राजनीतिक दल सक्रिय हैं।
पातेपुर में हाल के चुनावों के परिणाम क्या थे?
पिछले चुनाव में भाजपा के लखेंद्र रौशन ने राजद के शिवचंद्र राम को हराया था।
पातेपुर का प्रमुख धार्मिक स्थल कौन सा है?
पातेपुर का श्रीराम-जानकी मंदिर यहाँ का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
पातेपुर विधानसभा क्षेत्र की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के बारे में बताएं।
यहां धान, गेहूं और मक्का की खेती होती है, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
क्या पातेपुर में कोई मेले का आयोजन होता है?
हाँ, हर रामनवमी पर पातेपुर हाईस्कूल मैदान में एक माह तक मेला आयोजित होता है।