क्या यूपी सरकार श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत कर रही है?

सारांश
Key Takeaways
- योगी सरकार ने श्रमिकों के कल्याण के लिए ठोस योजनाएं बनाई हैं।
- 5.50 लाख से अधिक श्रमिकों को लाभ मिला है।
- महिलाओं का श्रम क्षेत्र में 36% योगदान बढ़ा है।
- कन्या विवाह योजना के तहत 440 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर श्रमिक सुविधा केंद्र की स्थापना की जा रही है।
लखनऊ, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। योगी सरकार ने श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में जो दृष्टिकोण अपनाया है, वह अब श्रमिकों के जीवन में बदलाव का उदाहरण बन चुका है। श्रम विभाग और भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्ल्यू) के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि योगी सरकार केवल घोषणाएं नहीं करती, बल्कि योजनाओं को जमीन पर उतार कर बदलाव सुनिश्चित कर रही है। इस आर्थिक व्यवस्था के केंद्र में शिक्षा, मातृत्व, विवाह, चिकित्सा और आवास जैसी योजनाएं शामिल हैं जो सीधे श्रमिकों की ज़रूरतों से जुड़ी हैं और उन्हें इसका सीधा लाभ प्राप्त हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 के दौरान 5,57,567 श्रमिकों को बोर्ड की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिला, जिस पर 710.96 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं 2025-26 में अब तक 10,221 श्रमिकों को बोर्ड की योजनाओं का लाभ मिल चुका है, जिस पर योगी सरकार ने 42.46 करोड़ रुपए व्यय किए हैं। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के जरिए महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं, जिससे उत्तर प्रदेश में महिलाओं की स्थिति पहले से 2017 के मुकाबले बेहतर हुई है।
हाल ही में जारी महिला आर्थिक सशक्तीकरण सूचकांक में श्रम क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। 2017 में श्रम क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी दर जहां 14% थी वहां 2024 में यह बढ़कर 36% हो गई है। इसे और बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजनाओं में महिलाओं की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए निर्देश दिए हैं।
बोर्ड द्वारा संचालित प्रमुख योजनाओं जैसे कन्या विवाह सहायता योजना के अंतर्गत अब तक 84,891 श्रमिक बेटियों के विवाह के लिए योगी सरकार द्वारा 440 करोड़ रुपए की सहायता दी जा चुकी है। वहीं मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना के तहत 1,09,841 महिलाओं को 364 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी गई है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार महिला श्रमिकों को केवल श्रमिक नहीं, बल्कि समाज की रीढ़ मानकर योजनाएं चला रही है।
पंजीकरण के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2025-26 में अभी तक 48,822 नए श्रमिकों का पंजीकरण हुआ, जिनमें 25,720 महिलाएं शामिल हैं। 2024-25 में यह संख्या 1,86,380 थी, जिनमें 89,441 महिला श्रमिक थीं। बोर्ड के गठन के बाद से अब तक कुल 1.84 करोड़ से अधिक श्रमिकों का पंजीकरण हो चुका है, जिनमें 63 लाख से अधिक महिलाएं शामिल हैं।
बीओसीडब्ल्यू अधिनियम 1996 के तहत 4,28,657 अधिष्ठानों का पंजीकरण किया गया है। वर्ष 2025-26 में यह अभी तक 7572 है और 2024-25 में 47,473 नए अधिष्ठान पंजीकृत किए गए हैं। उपकर संग्रहण के अंतर्गत वर्ष 2025-26 में 193.74 करोड़ रुपए और 2024-25 में 1722 करोड़ रुपए का संग्रहण हुआ, जिससे अब तक कुल 12,584.26 करोड़ रुपए का उपकर इकट्ठा हो चुका है, जो योजनाओं के सुचारू संचालन में आधार बना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रमिक कल्याण की दिशा में योजनाओं की निरंतरता और नवाचार को सुनिश्चित किया है। योगी सरकार ने श्रमिकों की सुविधा को और सुदृढ़ करने के लिए कई प्रस्तावित योजनाओं की घोषणा की है। इनमें प्रमुख है डॉ. भीमराव अंबेडकर श्रमिक सुविधा केंद्र, जो 17 नगर निकायों और नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे। ये केंद्र शौचालय, पंजीकरण, योजनाओं की जानकारी और डिजिटल सेवाओं से सुसज्जित होंगे। इसके अतिरिक्त विश्वकर्मा श्रमिक सराय योजना के तहत प्रवासी निर्माण श्रमिकों को शहरों में सुरक्षित हॉस्टल, स्नानागार, शौचालय और ब्लॉक रूम जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।