क्या वैताल देउला मंदिर में मां दुर्गा का तांत्रिक अवतार भक्तों को दर्शन देता है? जानिए इस मंदिर का रहस्य और वास्तुकला
सारांश
Key Takeaways
- मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
- भक्तों को दर्शन के लिए कृत्रिम प्रकाश का उपयोग करना पड़ता है।
- मंदिर का नाम वैताल आत्मा से जुड़ा हुआ है।
- स्थानीय लोग इसे तिनी मुंडिया या कपलिनी मंदिर के नाम से जानते हैं।
- यह पवित्र स्थान साल भर श्रद्धालुओं से भरा रहता है।
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत को मंदिरों और आस्था का देश माना जाता है। यहां हर राज्य, हर शहर और हर गांव में कोई न कोई ऐसी धार्मिक स्थल है, जिसकी अपनी विशेष पहचान और मान्यता है।
कुछ मंदिर अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं, तो कुछ अपने चमत्कारों के लिए। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के पुराने शहर में बिंदू सागर से 100 मीटर पश्चिम की दिशा में स्थित वैताल (बैताला) देउला मंदिर, मां दुर्गा के उग्र रूप मां काली को समर्पित है। इसे तंत्र और आत्माओं का गढ़ माना जाता है। मंदिर का नाम ही उसकी आस्था को बयां करता है, क्योंकि वैताल का अर्थ आत्मा है। यह माना जाता है कि अघोरी और तंत्र साधना में रुचि रखने वाले भक्तों के लिए यह मंदिर एक आकर्षण का केंद्र रहा है। मंदिर में मां की प्रतिमा भी अन्य रूपों से भिन्न है।
मंदिर के गर्भगृह में मां काली की रहस्यमय प्रतिमा है, जिसमें देवी को भयानक रूप में दर्शाया गया है, जो खोपड़ियों की माला से सुशोभित है और एक शव पर विराजमान है। प्रतिमा के पास उल्लू और सियार भी उपस्थित हैं, जिन्हें तंत्र साधना का मुख्य घटक माना जाता है। मां के इस रूप को उनका तंत्र अवतार माना जाता है। गर्भगृह में कम रोशनी होती है, जिससे देवी की मूर्ति स्पष्ट रूप से नहीं दिखती। भक्तों को दर्शन के लिए कृत्रिम प्रकाश का सहारा लेना पड़ता है।
स्थानीय रूप से यह पवित्र स्थान तिनी मुंडिया मंदिर या कपलिनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा को समर्पित यह महत्वपूर्ण तीर्थस्थल साल भर श्रद्धालुओं से भरा रहता है।
मंदिर के निर्माण की बात करें तो यह माना जाता है कि इसका निर्माण 8वीं शताब्दी ईस्वी में भौम कारा वंश की रानी त्रिभुवन महादेवी ने कराया था। इसका भव्य निर्माण मनोकामना पूरी होने के बाद किया गया था। मंदिर की नक्काशी में देवी मां के सभी रूपों को लाल पत्थर पर बारीकी से उकेरा गया है। खास बात यह है कि हर स्तंभ और दीवार पर मां की अलग-अलग प्रतिमा अंकित है।