क्या इंडियाएआई मिशन में जीपीयू की संख्या बढ़कर 34,381 हुई?

सारांश
Key Takeaways
- इंडियाएआई मिशन में 34,381 जीपीयू का अधिग्रहण।
- भारत को एआई में वैश्विक स्तर पर लीडर बनाने में मदद।
- सरकार द्वारा रियायती दरों पर जीपीयू उपलब्धता।
- आईटी क्षेत्र में रोजगार और विकास के नए अवसर।
- विभिन्न क्षेत्रों में एआई एप्लीकेशन का विकास।
नई दिल्ली, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इंडियाएआई मिशन में अब तक 14 सूचीबद्ध सर्विस प्रोवाइडर्स से 34,381 जीपीयू हासिल किए जा चुके हैं। इससे देश को वैश्विक स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में अग्रणी बनने में सहायता मिलेगी। यह जानकारी सरकार द्वारा साझा की गई।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि सरकार इन जीपीयू को रियायती दरों पर उपलब्ध कराती है। इन जीपीयू की औसत दर लगभग 65 रुपए प्रति जीपीयू प्रति घंटा है। एच100 जीपीयू की कीमत 92 रुपए प्रति जीपीयू प्रति घंटा है, जिसका उपयोग बड़े स्तर पर फाउंडेशनल मॉडल ट्रेनिंग में किया जाता है। सरकार द्वारा जीपीयू उपयोग के लिए निर्धारित की गई कीमतें हाइपर-स्केलर क्लाउड प्रोवाइडर्स की तुलना में काफी कम हैं।
भारत में एक मजबूत आईटी इकोसिस्टम है, जो 250 अरब डॉलर से अधिक का वार्षिक राजस्व उत्पन्न करता है और 60 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
स्टैनफोर्ड एआई रैंकिंग जैसी वैश्विक रैंकिंग में, भारत को एआई कौशल, क्षमताओं और एआई उपयोग नीतियों के मामले में शीर्ष देशों में स्थान दिया गया है। भारत अपनी वाइब्रेंट डेवलपर कम्युनिटी को प्रदर्शित करते हुए, गिटहब एआई परियोजनाओं में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता भी है।
सरकार ने मार्च 2024 में इंडिया एआई मिशन की शुरुआत की थी। यह भारत के विकास लक्ष्यों के अनुरूप एक मजबूत और समावेशी एआई इकोसिस्टम स्थापित करने की एक रणनीतिक पहल है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'इंडियाएआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव' का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शासन और सीखने की अक्षमताओं के लिए सहायक तकनीकों जैसे क्षेत्रों में भारत की विशिष्ट चुनौतियों के लिए आई एप्लीकेशन विकसित करना है। अब तक 30 आवेदन स्वीकृत हो चुके हैं।
इसके अलावा, अन्य मंत्रालयों और सरकारी संस्थानों के साथ साझेदारी में क्षेत्र-विशिष्ट हैकथॉन का आयोजन किया गया है।
सरकार ने बताया कि 'एआईकोष' एक एकीकृत डेटा प्लेटफॉर्म है जो सरकारी और गैर-सरकारी स्रोतों से डेटासेट को एकीकृत करता है। मार्च 2025 में लॉन्च किए गए बीटा संस्करण में वर्तमान में 890 से अधिक डेटासेट, 208 एआई मॉडल और 13 से अधिक विकास टूलकिट शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "ये संसाधन डेवलपर्स के लिए आधारशिला का काम करते हैं, जिससे उन्हें मॉड्यूल दोबारा बनाने के बजाय मुख्य एआई कार्यक्षमता पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।"
'इंडियाएआई फाउंडेशन मॉडल्स' पहल का उद्देश्य भारतीय डेटासेट और भाषाओं पर प्रशिक्षित भारत के अपने लार्ज मल्टीमॉडल मॉडल (एलएमएम) विकसित करना है।
इंडियाएआई मिशन को 500 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। पहले चरण में, 4 स्टार्ट-अप का चयन किया गया है। इनमें सर्वम एआई, सोकेट एआई, ज्ञानी एआई और गण एआई शामिल हैं।