क्या आंतरिक भ्रष्टाचार ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया?
सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति आंतरिक विफलताओं के कारण खराब है।
- भ्रष्टाचार का हर स्तर पर प्रभाव है।
- पाकिस्तान को सुधारों की आवश्यकता है।
- आईएमएफ के अनुसार, जीडीपी वृद्धि की संभावनाएं हैं।
- भ्रष्टाचार का आम लोगों की जीवन पर नकारात्मक प्रभाव है।
नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति का मुख्य कारण आंतरिक विफलताएं हैं, जिसमें बाहरी दबाव का कोई योगदान नहीं है।
पड़ोसी देश के एक अंग्रेजी अखबार पाकिस्तान ऑब्जर्वर की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, भ्रष्टाचार, कमजोर संस्थाएं और स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली लोगों के स्वार्थ ने देश को आर्थिक संकट में डाल दिया है।
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में भ्रष्टाचार शासन के हर स्तर पर प्रभाव डालता है। नीति-निर्माण अक्सर प्रभावशाली समूहों द्वारा नियंत्रित होता है, जो सरकारी संस्थाओं का निजी लाभ के लिए उपयोग करते हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार को मापने का कोई प्रभावी प्रणाली नहीं है। वहां के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने पिछले दो वर्षों में 5,300 अरब रुपए की रिकवरी की है, लेकिन आईएमएफ के अनुसार, यह आंकड़ा वास्तविकता से काफी कम है। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, आम लोग अपने दैनिक जीवन में हर दिन भ्रष्टाचार का सामना करते हैं, जिससे सरकारी संस्थाओं में जनता का विश्वास कम होता जा रहा है।
आईएमएफ ने 2019 के चीनी संकट का उदाहरण देते हुए बताया कि प्रभावशाली व्यावसायिक नेटवर्क ने चीनी की जमाखोरी की, जिससे कीमतें बढ़ गईं और अरबों डॉलर का स्थानांतरण हुआ, जबकि सरकार ने रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
इसके अलावा, आईएमएफ की रिपोर्ट में जटिल कर प्रणाली, कमजोर वित्तीय प्रबंधन, अपारदर्शी सरकारी खरीद प्रक्रियाएं और सार्वजनिक संस्थानों के खराब प्रदर्शन जैसे गहरे संरचनात्मक मुद्दों को भी उजागर किया गया है।
यदि पाकिस्तान गंभीर प्रशासनिक सुधार लागू करता है, तो वह अगले पांच वर्षों में 5 से 6.5 प्रतिशत से अधिक की जीडीपी वृद्धि दर्ज कर सकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार कोई नई समस्या नहीं है। नागरिक और सैन्य दोनों सरकारों ने सुधारों का वादा किया है, लेकिन नए दुरुपयोग भी उत्पन्न हुए हैं।