क्या पत्तियों से लेकर जड़ तक, अडूसा का हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपूर है?
सारांश
Key Takeaways
- अडूसा का हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरा है।
- यह खांसी और बलगम के लिए अत्यधिक लाभकारी है।
- अडूसा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
- त्वचा की समस्याओं में भी यह उपयोगी है।
- अडूसा पेट से जुड़े रोगों में भी फायदेमंद है।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अडूसा (वासा) एक ऐसा औषधीय पौधा है जिसके बारे में शायद आपने कम सुना होगा, लेकिन इसकी पत्तियां, फूल, जड़ और तना हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरा हुआ है। इसकी एक हल्की-सी खास गंध और कड़वा स्वाद होता है।
आयुर्वेद में इसे विशेषकर खांसी, बलगम और सांस संबंधी समस्याओं के लिए अत्यधिक उपयोगी माना गया है। अडूसा का रस या काढ़ा बलगम को ठीक करने में मदद करता है और फेफड़ों को साफ रखता है, इसलिए काली खांसी, ब्रोंकाइटिस, दमा जैसे रोगों में इसका उपयोग लंबे समय से किया जाता रहा है।
अडूसा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द, सूजन और गठिया जैसे रोगों में राहत देते हैं। कई लोग इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर दर्द वाले हिस्से पर लगाते हैं, जिससे सूजन कम होती है। त्वचा के फोड़े-फुंसी, दाद, खुजली या घावों के लिए भी अडूसा को एक घरेलू उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है। पत्तों का लेप या शहद के साथ इसका पाउडर त्वचा को शांत करता है और घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करता है।
अडूसा दो प्रकार का होता है श्वेत अडूसा और कृष्ण अडूसा। इनमें से श्वेत आसानी से मिल जाता है, जबकि कृष्ण अडूसा दुर्लभ माना जाता है। मुंह के छाले या घाव में लोग पारंपरिक रूप से इसके ताजे पत्ते चबाते हैं। कुछ लोग इसकी लकड़ी का दातून भी करते हैं। दांत दर्द में इसके पत्तों के काढ़े से कुल्ला करना लाभदायक माना गया है। सिरदर्द की समस्या में सूखे अडूसा फूलों का चूर्ण गुड़ के साथ लेना फायदेमंद होता है।
सांस फूलने, सूखी खांसी या बलगमशहद के साथ लेना एक पुराना घरेलू नुस्खा है। टीबी, दस्त, किडनी दर्द, पीलिया जैसे रोगों में भी इसके पारंपरिक उपयोग बताए जाते हैं। कई लोग वासा को तुलसी, सोंठ आदि के साथ काढ़ा बनाकर पीते हैं, जिससे शरीर हल्का महसूस होता है और श्वसन तंत्र मजबूत बनता है। इसके अलावा, अडूसा पेट से जुड़े रोगों जैसे अपच, गैस, कब्ज और आंतों की सफाई के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।