क्या कोविड से संक्रमित पिता के बच्चों के दिमाग और व्यवहार पर असर पड़ सकता है?

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क्या कोविड से संक्रमित पिता के बच्चों के दिमाग और व्यवहार पर असर पड़ सकता है?

सारांश

क्या कोविड-19 संक्रमण का असर केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर है? नई रिसर्च बताती है कि संक्रमित पिता के बच्चों के दिमाग और व्यवहार पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। जानिए कैसे यह अध्ययन बच्चों में चिंता और अन्य मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है।

Key Takeaways

  • कोविड-19 का असर केवल व्यक्ति पर नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ी पर भी हो सकता है।
  • पिता के शुक्राणु में बदलाव बच्चों के दिमाग और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं।
  • बच्चों में चिंता और डर जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
  • यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।
  • इस क्षेत्र में और अधिक शोध की आवश्यकता है।

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कोविड-19 का संक्रमण केवल संक्रमित व्यक्ति के स्वास्थ्य को नहीं प्रभावित करता, बल्कि यह उसकी आने वाली पीढ़ी के मानसिक विकास और व्यवहार पर भी प्रभाव डाल सकता है।

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न विश्वविद्यालय में की गई एक नई रिसर्च में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि यदि पिता को बच्चे के जन्म से पहले कोविड-19 होता है, तो इसके शुक्राणु में ऐसे परिवर्तन हो सकते हैं जो बच्चों के दिमाग और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। विशेष रूप से, इन बच्चों में चिंता जैसी मानसिक समस्याएं अधिक पाई गई हैं। यह रिसर्च नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

मेलबर्न विश्वविद्यालय के फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर एंथनी हन्नान ने बताया, "पहले कई अध्ययन दिखा चुके हैं कि पुरुषों में तनाव और बीमारियों का असर उनके शुक्राणु पर पड़ता है, जिससे उनके बच्चों का दिमाग और व्यवहार प्रभावित होता है। ये परिवर्तन मुख्य रूप से शुक्राणु में मौजूद आरएनए अणुओं के कारण होते हैं। आरएनए ऐसे सूचनात्मक अणु होते हैं जो बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिता की जीवनशैली के तत्व इन आरएनए अणुओं को प्रभावित करते हैं, जिससे बच्चे के विकास के निर्देश बदल जाते हैं।"

इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने यह जानने का प्रयास किया कि क्या कोविड-19 संक्रमण भी पिता के शुक्राणु के आरएनए को प्रभावित करता है और इसका प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।

इसके लिए, उन्होंने नर चूहों के एक समूह को कोविड से संक्रमित किया और ठीक होने के बाद उन्हें स्वस्थ मादा चूहों के साथ रखा ताकि वे बच्चे पैदा कर सकें। इसके बाद नए पैदा हुए बच्चों के व्यवहार और दिमाग का अध्ययन किया गया।

रिसर्च में पाया गया कि कोविड संक्रमित पिता से पैदा हुए सभी बच्चों में चिंता जैसी समस्याएं अधिक थीं, खासतौर पर इन बच्चों का व्यवहार चिंता और डर को दर्शाता था।

इस अध्ययन में यह भी देखा गया कि मादा बच्चों के दिमाग के उस हिस्से में, जिसे हिप्पोकैम्पस कहा जाता है, कई महत्वपूर्ण जीन की गतिविधि में बदलाव आया था। यह हिस्सा दिमाग का वह भाग है जो याददाश्त, भावनाओं और मानसिक स्थिति से जुड़ा होता है। इसलिए वैज्ञानिक मानते हैं कि कोविड संक्रमण से पिता के शुक्राणु में हुए परिवर्तन, बच्चों के दिमाग के विकास और उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने संक्रमित पिता के शुक्राणु के आरएनए की गहन जांच की, जिसमें पता चला कि कोविड संक्रमण ने उन आरएनए अणुओं को प्रभावित किया है जो दिमाग के विकास में शामिल जीन को नियंत्रित करते हैं।

प्रोफेसर एंथनी हन्नान ने कहा कि यदि ये परिणाम इंसानों में भी सही साबित होते हैं, तो इसका असर दुनियाभर के लाखों बच्चों और उनके परिवारों पर पड़ सकता है। यह एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन सकती है। उन्होंने आगे कहा कि इस क्षेत्र में और अधिक शोध की आवश्यकता है ताकि इस प्रभाव को पूरी तरह समझा जा सके और इससे निपटने के लिए उचित उपाय किए जा सकें।

Point of View

बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों की मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। हमें इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
NationPress
14/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या कोविड-19 का पिता के शुक्राणु पर असर होता है?
हाँ, नई रिसर्च से यह पता चला है कि कोविड-19 संक्रमण पिता के शुक्राणु के आरएनए को प्रभावित कर सकता है।
इससे बच्चों में कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं?
इससे बच्चों में चिंता, डर और अन्य मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।
क्या यह अध्ययन इंसानों पर भी लागू होता है?
यदि ये निष्कर्ष इंसानों पर भी सही साबित होते हैं, तो इसका प्रभाव व्यापक हो सकता है।