क्या जापान में पोल्ट्री उद्योग को बर्ड फ्लू के संकट का सामना करना पड़ रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- जापान में बर्ड फ्लू का गंभीर संकट।
- एचपीएआई का तेजी से फैलना।
- 6.3 लाख मुर्गियों का नुकसान।
- पोल्ट्री उद्योग और खाद्य सुरक्षा पर गंभीर खतरा।
- आर्थिक प्रभाव और व्यापार में रुकावट।
टोक्यो, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जापान के पोल्ट्री उद्योग के लिए यह समय चिंताहाईली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा (एचपीएआई) तेजी से फैल रहा है। यह बीमारी पक्षियों के लिए जानलेवा होती है और कभी-कभी इंसानों और अन्य जानवरों को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे में यह फ्लू देश के पोल्ट्री व्यवसाय और आम जनता के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।
पिछले कुछ वर्षों में एचपीएआई की घटनाओं ने दुनिया भर में मुर्गियों, अंडों की आपूर्ति और जंगली पक्षियों की प्रजातियों को प्रभावित किया है। जापान में इस साल यह तीसरी बार है कि पोल्ट्री फार्म पर यह जानलेवा फ्लू फैल रहा है।
अधिकारियों ने मंगलवार को पुष्टि की कि निगाटा प्रांत के ताइनाई शहर में एक बड़े पोल्ट्री फार्म में एचपीएआई फैल गया है। इस फार्म में कुल 6,30,000 मुर्गियां हैं, जिन्हें वायरस फैलने से रोकने के लिए कड़ा कदम उठाते हुए मारा जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, सोमवार सुबह फार्म में असामान्य मौतों की संख्या बढ़ने लगी थी, जिसके चलते तुरंत जांच शुरू की गई। प्रारंभिक परीक्षण में वायरस की पुष्टि हुई। अब इसके जीन की विस्तृत जांच की जा रही है ताकि बीमारी के स्वरूप और फैलने की क्षमता को समझा जा सके।
इस साल जापान में पहली बार बर्ड फ्लू का मामला 22 अक्टूबर को होक्काइडो प्रांत के शिराओई शहर में पाया गया था। इसके बाद दूसरा मामला भी होक्काइडो के एनीवा शहर में रविवार को सामने आया। ताइनाई का केस सीजन में तीसरा मामला बन गया है। यह पोल्ट्री उद्योग के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
एचपीएआई एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, जो पक्षियों में जल्दी फैलती है और अक्सर उच्च मृत्यु दर का कारण बनती है। यह बीमारी केवल पालतू मुर्गियों या घरेलू पक्षियों तक सीमित नहीं है, बल्कि जंगली पक्षियों में भी फैलती है। कभी-कभी इंसानों और अन्य जानवरों को भी संक्रमित कर सकती है।
हालिया एच5 वायरस की घटनाओं ने दुनिया भर में पोल्ट्री उद्योग, अंडों और चिकन की आपूर्ति, किसानों की आजीविका और आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर डाला है। इस बीमारी के फैलने से पोल्ट्री से जुड़ी कंपनियों को मुर्गियों को मारने और उनके परिवहन पर रोक जैसे कठोर कदम उठाने पड़ते हैं। इसके कारण व्यापार प्रभावित होता है और लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा चिंता का विषय बन जाती है।