क्या 'नो पाम ऑयल' लेबल केवल एक मार्केटिंग चाल है, या यह स्वास्थ्य का सच है? : आईएफबीए

सारांश
Key Takeaways
- पाम ऑयल का उपयोग भारत में लंबे समय से हो रहा है।
- 'नो पाम ऑयल' लेबल भ्रामक हो सकता है।
- उपभोक्ताओं को विज्ञान पर आधारित जानकारी पर ध्यान देना चाहिए।
- पाम ऑयल में स्वास्थ्य लाभ हैं, जैसे कोलेस्ट्रॉल कम करना।
- सरकार पाम की खेती को बढ़ावा दे रही है।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इंडियन फूड एंड बेवरेज एसोसिएशन (आईएफबीए) ने मंगलवार को यह चिंता व्यक्त की कि उपभोक्ता उत्पादों पर अचानक उभरते 'नो पाम ऑयल' (पाम तेल-मुक्त) लेबल का उपयोग misleading है और केवल एक मार्केटिंग रणनीति है। एसोसिएशन ने कहा कि यह उपभोक्ताओं को गलत जानकारी दे रहा है।
भारत में 19वीं सदी से पाम ऑयल का उपयोग होता आ रहा है, फिर भी इसके प्रति कई गलतफहमियां बनी हुई हैं। यह एक किफायती, बहुउपयोगी और लंबे समय तक टिकने वाला तेल है, जिसका उपयोग वैश्विक ब्रांड्स खाद्य उत्पादों में करते हैं।
आईएफबीए ने चेतावनी दी है कि लोग सोशल मीडिया ट्रेंड्स के आधार पर भोजन का चुनाव कर रहे हैं, न कि वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर। एसोसिएशन ने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि वे पोषण की सही जानकारी के बिना झूठी जानकारी फैलाने वाले इन्फ्लुएंसर्स की सलाह पर ध्यान न दें।
आईएफबीए के अनुसार, 'पाम ऑयल फ्री' जैसे लेबल अब विश्वसनीय पोषण सलाह के स्थान पर आ रहे हैं। ये लेबल उपभोक्ताओं की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का लाभ उठाने के लिए मार्केटिंग रणनीति के रूप में काम कर रहे हैं, खासकर फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स उद्योग में।
आईएफबीए के चेयरपर्सन दीपक जॉली ने कहा, “पाम ऑयल संतुलित आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 'नो पाम ऑयल' जैसे लेबल विज्ञान के बजाय मार्केटिंग को प्राथमिकता देकर उपभोक्ताओं को भटकाते हैं।”
उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय के आहार दिशानिर्देशों का संदर्भ देते हुए यह बात कही।
जॉली ने आगे कहा, "ये बातें समग्र पोषण संतुलन के महत्व से ध्यान भटकाती हैं और भारत के आत्मनिर्भरता के प्रयासों को कमजोर कर सकती हैं, जिससे अंततः सभी हितधारकों - किसानों और उत्पादकों से लेकर उपभोक्ताओं और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था तक को नुकसान होगा।"
भारत में हर साल 26 मिलियन टन खाद्य तेल की खपत होती है, जिसमें 9 मिलियन टन पाम ऑयल शामिल है।
आईएफबीए की वैज्ञानिक और नियामक मामलों की निदेशक शिल्पा अग्रवाल ने कहा, “आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के डायटरी गाइडलाइंस 2024 में पाम ऑयल में मौजूद टोकोट्रिनॉल्स को कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताया गया है। यह विज्ञान है, अनुमान नहीं।”
आईएफबीए ने सरकार की नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयल पाम पहल की सराहना की है, जिसके तहत 11,040 करोड़ रुपए के निवेश से पाम की खेती बढ़ाई जा रही है।