क्या प्री-डायबिटीज मधुमेह की शुरुआत का संकेत है? आयुर्वेद में निदान के उपाय क्या हैं?
सारांश
Key Takeaways
- प्री-डायबिटीज
- मधुमेह के लक्षणों की पहचान
- आहार में परिवर्तन
- योग और प्राणायाम का महत्व
- आयुर्वेदिक उपाय का प्रयोग
नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस का आयोजन किया जाएगा। आज मधुमेह एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जो तेजी से फैल रही है, और इससे युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी को खतरा है। इसलिए, मधुमेह से बचाव और निदान प्राप्त करना आवश्यक है।
मधुमेह से पहले, शरीर कई संकेत देता है, जिसे प्री-डायबिटीज कहा जाता है। इसके लक्षणों में थकान, घाव ठीक न होना, वजन में परिवर्तन और बार-बार पेशाब आना शामिल हैं।
प्री-डायबिटीज डायबिटीज की प्रारंभिक अवस्था है। इसमें रक्त में शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना नहीं कि यह टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज में बदल सके। एक स्वस्थ व्यक्ति में खाली पेट ब्लड शुगर 70-99 एमजी/डीएल होना चाहिए, जबकि प्री-डायबिटीज में यह 100-125 एमजी/डीएल तक पहुंच सकता है।
आयुर्वेद में इसे “मधुमेह पूर्व अवस्था” कहा जाता है। आयुर्वेद में प्री-डायबिटीज के लिए उपाय बताए गए हैं। जीवनशैली और आहार में बदलाव के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। प्री-डायबिटीज के लिए मेथी का पानी बहुत फायदेमंद है। इसके लिए रात में एक चम्मच मेथी को एक गिलास पानी में भिगोकर रखें और सुबह हल्का गुनगुना करके पिएं।
करेले और जामुन का रस या चूर्ण भी प्री-डायबिटीज में राहत प्रदान करता है। सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। त्रिफला चूर्ण, जो कई बीमारियों के लिए लाभकारी है, रात को गुनगुने पानी के साथ लेने से रक्त में शर्करा नियंत्रित रहती है।
इसके अतिरिक्त, रात में हल्दी वाला दूध और सुबह गिलोय का रस भी इस स्थिति में मददगार होते हैं। साथ ही, सफेद चावल, सफेद आटे और जूस का सेवन करने से बचें।
केवल आहार में परिवर्तन से काम नहीं चलेगा; शरीर को सक्रिय रखना भी आवश्यक है। रोज़ाना 30 मिनट टहलें और खाना खाने के बाद भी टहलने की आदत डालें। योग और प्राणायाम भी करें।