क्या सर्दियों में धूप सेंकना केवल आरामदायक है, या यह सेहत के लिए भी वरदान है?
सारांश
Key Takeaways
- सर्दियों में धूप से विटामिन-डी का निर्माण होता है।
- धूप से इम्यूनिटी और मूड में सुधार होता है।
- सिर्फ 20-30 मिनट की धूप काफी है।
- सुबह 9:00 से 11:00 बजे तक की धूप सबसे फायदेमंद है।
- कांच के पीछे बैठने से विटामिन-डी नहीं बनता।
नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों की सुबह का अपना अलग ही आनंद है। हल्की ठंड, कोहरा और सूरज की सुनहरी किरणें... ये न केवल शरीर और आंखों के लिए आरामदायक होते हैं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी होते हैं। हमारे बुजुर्ग हमेशा कहते थे कि रोज़ थोड़ी देर धूप में बैठना चाहिए।
आज का विज्ञान भी मानता है कि सर्दियों में धूप सेंकना केवल आराम नहीं, बल्कि शरीर और दिमाग के लिए वरदान है।
धूप हमारे शरीर के लिए प्राकृतिक पोषक तत्वों की फैक्ट्री है। जब सूरज की किरणें त्वचा पर पड़ती हैं, तो शरीर विटामिन-डी बनाने लगता है। यह हड्डियों, मांसपेशियों और इम्यूनिटी के लिए बेहद आवश्यक है। खासकर सर्दियों में, जब सूरज कम निकलता है, तब इसकी महत्वता और बढ़ जाती है।
आयुर्वेद में भी धूप का विशेष महत्व है। सर्दियों में कफ और वात दोष बढ़ जाते हैं, जिससे शरीर सुस्त और जकड़ा हुआ महसूस करता है। धूप शरीर में गर्मी और ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे जड़ता, ठंड से होने वाला दर्द और सुस्ती दूर होती है।
सिर्फ २०-३० मिनट की धूप कई बार सप्लीमेंट्स से भी ज्यादा प्रभावी होती है। हड्डियाँ मजबूत होती हैं, जोड़ का दर्द कम होता है, कैल्शियम का अवशोषण बेहतर होता है और बच्चों-बुजुर्गों में कमजोरी नहीं बढ़ती। धूप से सेरोटोनिन हार्मोन बढ़ता है, मूड बेहतर होता है, तनाव कम होता है और नींद की गुणवत्ता भी सुधारती है। यही कारण है कि इसे आयुर्वेद में मन को प्रसन्न करने वाली औषधि माना गया है।
धूप शरीर में रक्त संचार को सक्रिय करती है, हाथ-पैरों की ठंड और जमेपन में राहत देती है, इम्यून सेल्स को सक्रिय करती है और सर्दियों के संक्रमणों से बचाव करती है।
सुबह ९:०० से ११:०० बजे तक की धूप सबसे लाभकारी होती है। इस दौरान हल्के कपड़े पहनें और धूप को पीठ की तरफ से लें। ध्यान रहे, कांच के पीछे बैठने से विटामिन-डी का निर्माण नहीं होता।