क्या आसिम मुनीर ने पाकिस्तान में टीटीपी को अफगानी आतंकियों का समूह बताया?
सारांश
Key Takeaways
- टीटीपी में 70 प्रतिशत सदस्य अफगानी हैं।
- पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि।
- अफगान तालिबान को चेतावनी दी गई है।
- टीटीपी का संबंध पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा है।
- यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट में टीटीपी की ट्रेनिंग का जिक्र।
इस्लामाबाद, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (सीडीएफ) और आर्मी स्टाफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने यह खुलासा किया है कि पाकिस्तान में घुसपैठ करने वाले प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) समूह में अधिकांश सदस्य अफगानी हैं।
डॉन के अनुसार, उन्होंने यह महत्वपूर्ण बयान नेशनल उलेमा कॉन्फ्रेंस में 10 दिसंबर 2025 को दिया, जिसके क्लिप्स रविवार को टीवी पर प्रसारित हुए।
फील्ड मार्शल मुनीर ने अपने भाषण में कहा, "टीटीपी के वे फॉर्मेशन जो पाकिस्तान में घुसपैठ कर रहे हैं, उनमें 70 प्रतिशत अफगानी शामिल हैं।" उन्होंने सवाल उठाया, "क्या अफगानिस्तान हमारे पाकिस्तानी बच्चों का खून नहीं बहा रहा?" उन्होंने अफगान तालिबान को चेतावनी दी कि उन्हें पाकिस्तान और टीटीपी के बीच एक चुनाव करना होगा।
एबीसी न्यूज के अनुसार, यह बयान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में आया है। इस्लामाबाद ने बार-बार काबुल से अपील की है कि वह अपनी भूमि का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी आतंकवादियों द्वारा हमलों के लिए न होने दे। हालांकि, काबुल इन आरोपों को खारिज करता रहा है। मुनीर ने टीटीपी को "फितना अल-ख्वारिज" बताया और कहा कि 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद टीटीपी अधिक सक्रिय और बोल्ड हो गया है।
यह वही टीटीपी है जिसे पाकिस्तान ने पहले अपने हितों के लिए प्रयोग किया था। इस्लामाबाद ने 1990 के दशक से तालिबान को अपना इरादा पूरा करने के लिए एक औजार की तरह इस्तेमाल किया। भारत से बदला लेने के प्रयास में उन्होंने अफगानिस्तान को 'स्ट्रैटजिक डेप्थ' बनाने की कोशिश की। एक तरफ उन्होंने आतंकवाद की निंदा की, दूसरी तरफ चरमपंथी समूहों को फलने-फूलने में सहायता की।
अब इस्लामाबाद दावा करता है कि टीटीपी, अफगानिस्तान से संचालित होकर पाकिस्तान में इस्लामिक कानून लागू करने और तालिबान जैसी शासन व्यवस्था लागू करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन तालिबान सरकार इन आरोपों को खारिज करती है। यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि टीटीपी के लड़ाके अफगानिस्तान में रहते हैं, वहां उनकी ट्रेनिंग होती है, और उनके हाथों में वो हथियार आ गए हैं, जो 2021 में अमेरिका द्वारा छोड़े गए थे।