क्या सोमालीलैंड को मान्यता देने के पीछे इजरायल की मंशा है? मिस्र और जॉर्डन समेत कई देश क्यों हैं खफा?
सारांश
Key Takeaways
- सोमालीलैंड को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का इजरायल का प्रयास विवादास्पद है।
- अमेरिका और 21 अन्य देश इजरायल की मान्यता को खारिज कर चुके हैं।
- सोमालीलैंड की भौगोलिक स्थिति इजरायल के लिए महत्वपूर्ण है।
- इजरायल का प्रयास लाल सागर में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने का है।
- यूएई का सोमालीलैंड में सैन्य बेस है।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हॉर्न ऑफ अफ्रीका से अलग हुए सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का इजरायल का प्रयास उलटा पड़ता दिख रहा है। हालाँकि यूरोपीय यूनियन ने भी सोमालीलैंड को एक देश मान लिया है, लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान समेत 21 देशों ने इजरायल की इस मान्यता को अस्वीकार कर दिया है।
सोमालीलैंड को मान्यता देने के पीछे इजरायल की एक विशेष रणनीति है। दरअसल, लाल सागर और अदन की खाड़ी के निकट स्थित सोमालीलैंड का समर्थन करके इजरायल हूती विद्रोहियों की गतिविधियों पर नज़र रखना चाहता है। इजरायल लंबे समय से मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। हालाँकि, गाजा में चल रहे युद्ध ने इस दिशा में और भी कठिनाई पैदा कर दी है। सोमालीलैंड को मान्यता देने के बाद, इजरायल अब अमेरिका के समर्थन की प्रतीक्षा कर रहा है, हालाँकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का इस विषय पर पहले ही एक बयान आ चुका है।
इजरायल लाल सागर में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है और इसके लिए सोमालीलैंड एक सहयोगी के रूप में उसकी सहायता कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोमालीलैंड को मान्यता देने से लाल सागर में भू-राजनीति का स्वरूप बदल सकता है। सोमालीलैंड के माध्यम से इजरायल को बेरबेरा पोर्ट तक सीधी पहुँच मिल सकती है, जिससे लाल सागर में हूतियों के खतरे को कम करने और सुरक्षा को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
सोमालिया के उत्तर-पश्चिमी भाग में सोमालीलैंड का नियंत्रण है। इसकी सीमाएँ उत्तर-पश्चिम में जिबूती और पश्चिम तथा दक्षिण में इथियोपिया से लगती हैं। यमन के समक्ष लाल सागर के तट पर बसा यह क्षेत्र इजरायल के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
अमेरिका का समर्थन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंजूरी के लिए आवश्यक है। इस बीच, इजरायल और सोमालीलैंड ने घोषणा की है कि उनके रिश्ते अब्राहम समझौते की भावना के अनुसार विकसित हो रहे हैं। इजरायल के अलावा, सोमालीलैंड का केवल ताइवान के साथ आधिकारिक संबंध है, जिसे अब तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है। हालाँकि, सोमालीलैंड संयुक्त अरब अमीरात के साथ भी अच्छे और मजबूत संबंध रखता है। यूएई, बेरबेरा पोर्ट में एक सैन्य बेस भी संचालित करता है, जिसमें एक नेवल पोर्ट और फाइटर जेट और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लिए एक एयरस्ट्रिप शामिल है।
रिपोर्टों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह बेस यमन में सना के खिलाफ यूएई के नेतृत्व में चलाए जा रहे अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं, इथियोपिया ने इस वर्ष की शुरुआत में लाल सागर तक पहुँच प्राप्त करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन पड़ोसी देशों के दबाव में इसे रोक दिया गया था।
वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान, जॉर्डन, मिस्र, अल्जीरिया, कोमोरोस, जिबूती, गाम्बिया, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, मालदीव, नाइजीरिया, ओमान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, तुर्किये, यमन और ओआईसी के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी कर इजरायल की मान्यता को नकार दिया।