क्या भारत और यूके की नौसेनाओं ने एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन युद्धाभ्यास किया?

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क्या भारत और यूके की नौसेनाओं ने एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन युद्धाभ्यास किया?

सारांश

भारत और यूके की नौसेनाओं ने समुद्री सुरक्षा के लिए द्विपक्षीय अभ्यास ‘कोंकण-25’ का आयोजन किया। इस अभ्यास में एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन युद्धाभ्यास शामिल थे। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग को मजबूत करने में मददगार साबित होगा।

Key Takeaways

  • द्विपक्षीय अभ्यास ‘कोंकण-25’ का आयोजन किया गया।
  • इसमें एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन युद्धाभ्यास शामिल थे।
  • अभ्यास का उद्देश्य समुद्री सहयोग को सुदृढ़ करना था।
  • दोनों नौसेनाओं ने उच्च तीव्रता वाले अभियानों में भाग लिया।
  • इस अभ्यास ने रणनीतिक तालमेल का प्रदर्शन किया।

नई दिल्ली, १० अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और यूनाइटेड किंगडम की नौसेनाओं ने द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘कोंकण-२५’ का आयोजन किया है। यह एक समुद्री चरण वाला महत्वपूर्ण अभ्यास था जिसमें उच्च तीव्रता वाले नौसैनिक अभियान शामिल थे। इनमें एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन युद्धाभ्यास, उड़ान संचालन और अन्य सीमैनशिप विकास शामिल रहे।

दोनों देशों की नौसेनाओं ने समुद्र में अपने फ्रंटलाइन प्लेटफॉर्म्स तैनात किए, जिनमें विमानवाहक पोत, विध्वंसक, फ्रिगेट्स, पनडुब्बियां और हवाई साधन शामिल रहे। यहाँ पर अत्याधुनिक सैन्य अभियानों और समुद्री सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य अंतर-संचालन क्षमता, ऑपरेशनल तत्परता और समुद्री सहयोग को सुदृढ़ बनाना था।

समुद्री चरण के दौरान दोनों नौसेनाओं ने अनेक जटिल समुद्री अभियानों में भाग लिया, जिनमें रणनीतिक समन्वय और आधुनिक युद्धक कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ। यहाँ टेक्निकल एयर वॉरफेयर और एयर डिफेंस अभ्यास भी किया गया। नौसेना के अनुसार अभ्यास में विमानवाहक पोत-आधारित लड़ाकू विमान, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर, तथा तटीय समुद्री टोही विमान शामिल रहे। इन यूनिट्स ने यहाँ विजुअल रेंज से परे हवाई युद्धाभ्यास और समन्वित वायु रक्षा ड्रिल्स को भी अंजाम दिया।

इन अभियानों ने यह सिद्ध किया कि डेक-आधारित वायु संपत्तियां कहीं भी, कभी भी प्रभावी ढंग से संचालन करने की तत्परता रखती हैं। अभ्यास के दौरान सतह से फायरिंग तथा समन्वित पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास आयोजित किए गए। समुद्री गश्ती विमान और हेलीकॉप्टर ने सतह एवं जलमग्न प्लेटफॉर्मों के साथ घनिष्ठ समन्वय में संचालन किया। इससे दोनों नौसेनाओं के बीच रणनीतिक तालमेल और पेशेवर उत्कृष्टता का प्रदर्शन हुआ।

अभ्यास के दौरान उच्च ऑपरेशनल गति बनाए रखी गई, जिससे दोनों नौसेनाओं की मल्टी-डोमेन युद्ध में क्षमताओं और तत्परता का स्पष्ट प्रदर्शन हुआ। भारतीय नौसेना का कहना है कि यह चरण दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री क्षेत्र में सहयोग और सामरिक समझ को और अधिक गहराई प्रदान करता है। सी फेज का समापन एक औपचारिक ‘स्टीमपास्ट’ के साथ हुआ, जिसमें भाग लेने वाले जहाजों ने पारंपरिक नौसैनिक अभिवादन का आदान-प्रदान किया।

इसके बाद जहाज अपने-अपने बंदरगाहों की ओर प्रस्थान कर गए, जहां हार्बर फेज आयोजित होगा। इस चरण में संयुक्त पेशेवर आदान-प्रदान, सहयोगी गतिविधियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल रहेंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि अभ्यास ‘कोंकण-२५’ भारत और यूनाइटेड किंगडम की नौसेनाओं के बीच मजबूत समुद्री संबंधों और बढ़ते सामरिक सहयोग का प्रतीक है। यह न केवल दोनों देशों की संचालनिक क्षमता और पेशेवर साझेदारी को सुदृढ़ करता है, बल्कि क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।

Point of View

बल्कि क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता को भी सुनिश्चित करता है।
NationPress
10/10/2025

Frequently Asked Questions

अभ्यास ‘कोंकण-25’ का मुख्य उद्देश्य क्या था?
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता और समुद्री सहयोग को सुदृढ़ बनाना था।
इस अभ्यास में कौन-कौन से युद्धाभ्यास शामिल थे?
इसमें एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस, और एंटी-सबमरीन युद्धाभ्यास के साथ-साथ फ्लाइंग ऑपरेशन्स भी शामिल थे।
अभ्यास के दौरान कौन से प्लेटफॉर्म्स का उपयोग किया गया?
अभ्यास में विमानवाहक पोत, विध्वंसक, फ्रिगेट्स, और पनडुब्बियों का उपयोग किया गया।