क्या वाराणसी का भारत माता मंदिर देशभक्ति, इतिहास और आस्था का 100 वर्षीय प्रतीक है?

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क्या वाराणसी का भारत माता मंदिर देशभक्ति, इतिहास और आस्था का 100 वर्षीय प्रतीक है?

सारांश

भारत माता मंदिर वाराणसी में देशभक्ति और आस्था का प्रतीक है। यह अद्वितीय मंदिर अखंड भारत के मानचित्र का स्थल है। जानिए इसकी रोचक कहानी, ऐतिहासिक महत्व और निर्माण की प्रक्रिया।

Key Takeaways

  • भारत माता मंदिर देशभक्ति और आस्था का प्रतीक है।
  • यह मंदिर अखंड भारत के मानचित्र का स्थान है।
  • मंदिर का निर्माण 1918 में शुरू हुआ और 6 साल में पूर्ण हुआ।
  • इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था।
  • मंदिर की अनोखी संरचना में नदियों और पहाड़ों का चित्रण है।

वाराणसी, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित भारत माता मंदिर देशभक्ति और आस्था का एक अद्वितीय संगम है। यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां किसी देवी या देवता की मूर्ति नहीं, बल्कि अखंड भारत का भव्य मानचित्र स्थित है। जब भक्त इस मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो चारों ओर 'भारत माता की जय' के नारे गूंज उठते हैं और वातावरण देशभक्ति से भरा होता है।

यह भव्य मानचित्र मकराना संगमरमर के 762 टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया है, जो 11 फीट लंबा और चौड़ा है। इस मंदिर का उद्घाटन 25 अक्टूबर 1936 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। इस अवसर पर कई स्वतंत्रता सेनानी भी मौजूद थे।

भारत माता मंदिर के केयरटेकर राजीव ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि इस मंदिर के निर्माण का विचार बाबू शिव प्रसाद गुप्त को 1913 में कराची कांग्रेस अधिवेशन से लौटते समय मुंबई में मिट्टी से बने अखंड भारत के नक्शे को देखकर आया था। उन्होंने 1918 में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया, जो लगभग 6 सालों में पूर्ण हुआ। विशेष बात यह रही कि यह निर्माण अंग्रेजी शासन के दौरान चोरी-छिपे किया गया, ताकि अंग्रेजों को इसकी जानकारी न हो।

मंदिर की देखरेख करने वाले राजीव के मुताबिक, मंदिर के निर्माण में काशी के इंजीनियर दुर्गा प्रसाद खत्री के नेतृत्व में 30 कारीगरों की टीम ने मानचित्र पर काम किया, जबकि 25 लोगों ने मंदिर की संरचना तैयार की। चूंकि यह कार्य ब्रिटिश राज में हो रहा था, इसलिए कारीगर विभिन्न स्थानों पर पत्थरों को काटते थे और फिर उन्हें गुप्त रूप से मंदिर परिसर में लाकर जोड़ा जाता था।

मंदिर में बने अखंड भारत के मानचित्र में नदियां, पहाड़, झीलें, टापू और समुद्र तल से ऊंचाई तक का बारीकी से विवरण उकेरा गया है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बलूचिस्तान, तिब्बत और अरब सागर का भी चित्रण किया गया है, जो इसे एक अद्वितीय ऐतिहासिक धरोहर बनाता है।

राजीव के अनुसार, यह मंदिर भारत की आजादी से पहले बन चुका था और अब इसे 100 साल से अधिक हो गए हैं।

Point of View

यह कहना उचित है कि भारत माता मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह हमारे देश के इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और आस्था का प्रतीक है। इसकी अनोखी संरचना और निर्माण की पृष्ठभूमि हमें यह सिखाती है कि देशभक्ति की भावना किस प्रकार हमारे दिलों में बसी हुई है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत माता मंदिर का उद्घाटन कब हुआ?
भारत माता मंदिर का उद्घाटन 25 अक्टूबर 1936 को महात्मा गांधी द्वारा किया गया था।
भारत माता मंदिर का निर्माण किसने किया?
भारत माता मंदिर का निर्माण बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने प्रारंभ किया था।
भारत माता मंदिर में क्या दर्शाया गया है?
भारत माता मंदिर में अखंड भारत का भव्य मानचित्र दर्शाया गया है, जिसमें नदियां, पहाड़, और अन्य भू-आकृतियाँ शामिल हैं।
भारत माता मंदिर का निर्माण कब शुरू हुआ?
भारत माता मंदिर का निर्माण 1918 में शुरू हुआ था।
भारत माता मंदिर का मानचित्र किससे बना है?
भारत माता मंदिर का मानचित्र मकराना संगमरमर के 762 टुकड़ों से बना है।