क्या बिहार में बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई कोर्ट ने तीन दोषियों को तीन साल की सजा सुनाई?

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क्या बिहार में बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई कोर्ट ने तीन दोषियों को तीन साल की सजा सुनाई?

सारांश

पटना की सीबीआई कोर्ट ने 1991 में हुए बैंक धोखाधड़ी के मामले में तीन आरोपियों को सजा दी है। जानें इस मामले के पीछे की कहानी और सुनवाई के प्रमुख बिंदु।

Key Takeaways

  • सीबीआई कोर्ट का फैसला बैंक धोखाधड़ी के खिलाफ सख्ती को दर्शाता है।
  • तीन दोषियों को तीन साल की सजा दी गई है।
  • जुर्माना भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • मामला 1991 से संबंधित है, जो लंबी जांच का विषय रहा है।
  • यह मामला बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा के लिए एक चेतावनी है।

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस) बिहार के पटना में सीबीआई कोर्ट ने 1991 में दर्ज एक बैंक धोखाधड़ी के मामले में तत्कालीन शाखा प्रबंधक सहित तीन लोगों को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इन पर 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

अदालत ने बिहार के दरभंगा में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के दो तत्कालीन प्रबंधकों और एक निजी व्यक्ति को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उन पर 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पटना में सीबीआई कोर्ट ने शनिवार को सजा सुनाई।

तीनों की पहचान मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, कहुआ शाखा, दरभंगा के तत्कालीन प्रबंधक बरुण कुमार मिश्रा, मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, बहेरा शाखा, मधुबनी के तत्कालीन शाखा प्रबंधक मोहन जी मिश्रा और एक निजी व्यक्ति दयानंद झा के रूप में की गई है।

बैंक धोखाधड़ी से संबंधित मामले में उन्हें तीन साल की कठोर कारावास (आरआई) और कुल 4 लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा।

सीबीआई ने 14 अगस्त, 1991 को मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (एमकेजीबी) कोहुआ शाखा के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी बरुण कुमार मिश्रा और मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (एमकेजीबी) कोहुआ शाखा के फील्ड ऑफिसर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप था कि 1989-90 के दौरान एमकेजी बैंक के शाखा अधिकारी और फील्ड ऑफिसर ने आपराधिक साजिश रची और एचएसएस खाता संख्या 1114 में डेबिट और क्रेडिट प्रविष्टियों में हेरफेर करके 2,48,642 रुपये का गबन किया। इसे दयानंद झा, पुत्र शारदानंद झा और दरभंगा निवासी के नाम से दिखाया गया।

जांच के बाद, 30 नवंबर, 1994 को सीबीआई ने गबन के विभिन्न मामलों में दो अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किए।

पहला आरोप पत्र पटना के विशेष न्यायाधीश सीबीआई मामलों की एलडी कोर्ट में बरुण कुमार मिश्रा, मोहन जी मिश्रा और दयानंद झा के खिलाफ दाखिल किया गया। अदालत ने सुनवाई के बाद आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें सजा सुनाई।

दूसरा आरोप पत्र पटना के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआई मामलों की एलडी कोर्ट में बरुण कुमार मिश्रा के खिलाफ दाखिल किया गया, जो बिहार के मुजफ्फरपुर कोर्ट में विचाराधीन है।

Point of View

बल्कि पूरे बैंकिंग सिस्टम के लिए एक चेतावनी है।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

सीबीआई कोर्ट ने किस मामले में सजा सुनाई?
सीबीआई कोर्ट ने 1991 में दर्ज बैंक धोखाधड़ी मामले में तीन आरोपियों को सजा सुनाई है।
दोषियों को कितनी सजा मिली?
दोषियों को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा दी गई है।
क्या जुर्माना भी लगाया गया?
हाँ, प्रत्येक दोषी पर 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
इस मामले में आरोपियों की पहचान क्या है?
आरोपी बरुण कुमार मिश्रा, मोहन जी मिश्रा, और दयानंद झा हैं।
यह मामला कब दर्ज किया गया था?
यह मामला 14 अगस्त, 1991 को दर्ज किया गया था।