क्या हैदराबाद में भेड़ वितरण घोटाले के लिए ईडी की बड़ी कार्रवाई हुई?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने भेड़ वितरण घोटाले में 8 ठिकानों पर छापेमारी की।
- घोटाले की अनुमानित राशि लगभग 700 करोड़ रुपए है।
- भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू हुई।
- सरकारी धन का दुरुपयोग और बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का संदेह है।
- पशुपालन विभाग और भेड़ बकरी विकास निगम से दस्तावेज जुटाए गए हैं।
हैदराबाद, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को भेड़ वितरण घोटाले के संदर्भ में हैदराबाद के 8 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के अंतर्गत की गई। ईडी ने यह जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर प्रारंभ की है।
छापेमारी उन व्यक्तियों के ठिकानों पर की गई है जो योजना के लाभार्थी या बिचौलियों के रूप में पहचाने गए हैं। इस कार्रवाई में जी. कल्याण भी शामिल हैं, जो पूर्व बीआरएस मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) रह चुके हैं। उन्हें एसीबी की एक एफआईआर में नामित किया गया है।
तेलंगाना सरकार ने वर्ष 2017 में 'भेड़ वितरण एवं विकास योजना' (एसआरडीएस) की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत चरवाहा परिवारों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर 20 मादा और एक नर भेड़ देने का लक्ष्य रखा गया था। पहले चरण में 1.28 करोड़ से अधिक भेड़ वितरित की गई थीं। हालांकि, बाद की जांच में यह सामने आया कि योजना में बड़ी हेराफेरी हुई। नकली बिल, फर्जी परिवहन दस्तावेज और बेनामी खातों के माध्यम से सरकारी धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया।
एसीबी के अनुसार, इस घोटाले की अनुमानित राशि लगभग 700 करोड़ रुपए है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की मार्च 2021 तक की ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि योजना में कई गंभीर अनियमितताएं हुईं। इन अनियमितताओं में लाभार्थियों का रिकॉर्ड न होना, फर्जी रसीदें, मृत या गैर-मौजूद लोगों को भेड़ बांटना और एक ही टैग का कई बार इस्तेमाल शामिल हैं।
कैग की रिपोर्ट केवल 7 जिलों पर आधारित है और इसमें 253.93 करोड़ रुपए के नुकसान का उल्लेख किया गया है। यदि इसे पूरे राज्य के 33 जिलों पर अनुपातिक रूप से देखा जाए तो अनुमान है कि कुल नुकसान 1000 करोड़ से अधिक हो सकता है।
ईडी को जांच के दौरान कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं जो इस योजना में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की ओर इशारा करती हैं। ईडी ने पशुपालन विभाग और भेड़ बकरी विकास निगम से सभी आवश्यक दस्तावेज जुटाए हैं और अब वित्तीय लेन-देन की गहनता से जांच की जा रही है।