क्या कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के पोस्ट पर आपत्ति जताई?

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा सांसद ने इंदिरा गांधी के बारे में विवादास्पद पोस्ट किया।
- कांग्रेस सांसद ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
- राजनीतिक संवाद में सम्मान जरूरी है।
नई दिल्ली, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के बारे में किए गए एक सोशल मीडिया पोस्ट पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने अपनी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में ऐसे लोग मौजूद हैं, इस पर शर्म आती है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शिमला समझौते को लेकर कांग्रेस से कई तीखे सवाल उठाए। उन्होंने सवाल किया कि क्या इंदिरा गांधी ने अमेरिका के दबाव में शिमला समझौता किया? उन्होंने यह भी पूछा कि इंदिरा गांधी ने भारत का 5000 स्क्वायर मील भूभाग पाकिस्तान को क्यों सौंपा? उन्होंने यह भी कहा कि 93 हजार सैनिक लौटाने के बदले अपने 56 सैनिकों को पाकिस्तान की जेल में क्यों मरवा दिया? यह राज्य सभा का डिबेट है और कांग्रेस पार्टी के सदस्य तथा पूर्व रक्षा मंत्री महावीर त्यागी सहित भाजपा-जनसंघ के वरिष्ठ नेता भाई महावीर के इन प्रश्नों का जवाब ना तो इंदिरा गांधी ने दिया और ना ही विदेश मंत्री स्वर्ण सिंह ने। जनता को मूर्ख बनाना, यही असली इतिहास है।
इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैं उनसे यह पूछना चाहता हूं कि क्या वे कभी अपनी पार्टी का इतिहास पढ़ते हैं। क्या उन्हें यह नहीं पता कि इंदिरा गांधी ऐसी पीएम थीं जिनकी विपक्ष भी इज्जत करता था? पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी की तुलना मां दुर्गा से की थी। जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके लिए ऐसी टिप्पणियां भाजपा का आचरण हैं, जो भारत की संस्कृति नहीं है। इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्देशों का पालन करने से मना कर दिया था। इंदिरा गांधी तब तक नहीं रुकीं जब तक उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े नहीं कर दिए। इतना शानदार इतिहास बनाने वाले के लिए इस तरह की टिप्पणियां की जाती हैं। आजाद भारत में ऐसे लोगों का होना शर्मनाक है।
ईरान से भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन सिंधु पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि ईरान ने हमेशा भारत का समर्थन किया है और उन्होंने अच्छी दोस्ती बनाए रखी है। यहां तक कि जब हम पाकिस्तान के मुद्दे पर, खासकर कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में अलग-थलग पड़े थे, तब भी ईरान हमारे साथ खड़ा था।