क्या 'पान का पत्ता' संक्रमण से रक्षा और पाचन का प्राकृतिक उपाय है?
सारांश
Key Takeaways
- पान के पत्ते स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
- इनमें एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुण होते हैं।
- ताजा पान का सेवन करना चाहिए, बासी नहीं।
- सुबह खाली पेट चबाने से पाचन में सुधार होता है।
- विशेषज्ञों की सलाह का पालन करें।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में पान के पत्तों का ऐतिहासिक महत्व रहा है, जिसका उपयोग 400 ईसा पूर्व से शुरू हुआ। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ने पान के पत्तों के स्वास्थ्यवर्धक गुणों की पुष्टि की है।
आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों जैसे चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, और कश्यप भोजनकल्प में भोजन के बाद पान चबाने की परंपरा का उल्लेख है, जो 75 ईस्वी से 300 ईस्वी के बीच प्रचलित हुई। 13वीं शताब्दी में यूरोपीय यात्री मार्को पोलो ने भी भारतीय राजाओं में पान चबाने का जिक्र किया था।
अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, पान के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डायबिटिक, एंटी-अल्सर, लिवर प्रोटेक्टिव, और संक्रमण-रोधी गुण होते हैं। ये मुंह की स्वच्छता बनाए रखने में सहायक हैं और कई बीमारियों से रक्षा करते हैं। पान में कैल्शियम, विटामिन सी, राइबोफ्लेविन, कैरोटीन, नियासिन, और क्लोरोफिल जैसे पोषक तत्व भी होते हैं।
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि सुबह खाली पेट ताजा पान का पत्ता चबाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। अपच, कब्ज, डकार, और गैस जैसी समस्याएं दूर होती हैं। यह खांसी-सर्दी में राहत देता है और घाव भरने में भी मदद करता है। पान का काढ़ा पीने से सर्दी-खांसी में आराम और इम्यूनिटी बढ़ती है।
पान के पत्ते संक्रमण से रक्षा करते हैं, पाचन सुधारते हैं, और समग्र स्वास्थ्य को सशक्त बनाते हैं। हालांकि, कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। पान खाते समय चूने की जगह गुलकंद, सौंफ, बीज, या मेवे मिलाना फायदेमंद होता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि दिन में 2-3 पान से अधिक न खाएं। ताजा पान फायदेमंद है, जबकि बासी पान हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जो पेट खराब कर अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।