क्या निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड के आरोपियों को बरी किया।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा गया।
- कोली एक लंबित मामले में जेल में है।
- मामले में सबूतों की कमी के चलते आरोपियों को बरी किया गया।
- सामाजिक सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर सवाल उठे हैं।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा के चर्चित निठारी कांड में मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके सहायक सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय को मान्यता दी है, जिसमें उन्हें बरी किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा कोली और पंढेर को बरी करने के आदेश को बरकरार रखा।
सर्वोच्च न्यायालय ने 16 अक्टूबर 2023 को दिए गए हाईकोर्ट के फैसले को मान्यता दी, जिसमें कोली को 12 मामलों और पंढेर को 2 मामलों में सबूतों की कमी के कारण बरी किया गया था।
इस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को उचित ठहराया।
वर्तमान में, पंढेर को पूरी तरह से बरी किया गया है, जबकि कोली एक लंबित मामले के कारण जेल में है।
ज्ञात हो कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2023 में मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में बरी किया था। इन दोनों को बलात्कार और हत्या के आरोपों से सबूतों की कमी के चलते बरी किया गया। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद, मोनिंदर सिंह पंढेर जेल से रिहा हो गए थे।
यह मामला 7 मई 2006 का है, जब पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने एक युवती को बुलाया था, जिसके बाद वह घर नहीं लौटी। युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले।
पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके सहायक सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था, और बाद में सभी मामलों को सीबीआई को सौंप दिया गया था।