क्या दिव्या देशमुख ने 2025 में इतिहास रच दिया, डी. गुकेश क्यों हुए निराश?
सारांश
Key Takeaways
- दिव्या देशमुख ने महिला विश्व कप जीता।
- डी. गुकेश ने मैग्नस कार्लसन को हराया।
- आर. प्रज्ञानंदा ने टाटा स्टील चेस टूर्नामेंट जीता।
- भारत के शतरंज खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त की।
- भारत शतरंज की वैश्विक ताकत बन रहा है।
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025 भारत के लिए शतरंज के क्षेत्र में एक विशेष वर्ष साबित हुआ है। भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में कई खिताब जीतकर देश का मान बढ़ाया है।
विश्व चैंपियन डी. गुकेश ने नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल फॉर्मेट में पहली बार हराया।
वहीं, आर. प्रज्ञानंदा के लिए यह वर्ष 2025 बेहद शानदार रहा। उन्होंने डी. गुकेश को हराकर टाटा स्टील चेस टूर्नामेंट 2025 का खिताब जीता। प्रज्ञानंदा ने सुपरबेट चेस क्लासिक रोमानिया, उजचेस कप और लंदन चेस क्लासिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए फीडे सर्किट 2025 जीतकर 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया। वह पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने जिन्होंने सर्किट जीतकर कैंडिडेट्स में प्रवेश किया।
महिला वर्ग में दिव्या देशमुख ने बातूमी में महिला विश्व कप जीता। वह फिडे महिला विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और उन्होंने प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब भी हासिल किया। इसके साथ ही, उन्होंने 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर लिया।
इस वर्ष भारत के शतरंज में ये तीन बड़ी सफलताएं रहीं।
फिडे विश्व कप 2025 का आयोजन गोवा में हुआ था। इस इवेंट में डी. गुकेश, आर. प्रज्ञानंदा, विदित गुजराती और दिव्या देशमुख से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन इनमें से कोई भी अंतिम राउंड तक नहीं पहुंच सका। भारत में हुए विश्व कप में किसी भी भारतीय का अंतिम चरण तक न पहुंचना निश्चित रूप से निराशाजनक रहा, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने भविष्य के लिए उम्मीदें जगाई हैं। आने वाले वर्षों में हमें शतरंज के क्षेत्र में युवा खिलाड़ियों से बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद है।
भारत निश्चित रूप से शतरंज के क्षेत्र में तेजी से एक मजबूत वैश्विक ताकत के रूप में उभर रहा है। विश्वनाथन आनंद 1988 में पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर बने थे, जबकि वर्तमान में 91 ग्रैंडमास्टर हैं। यह संख्या शतरंज के क्षेत्र में हमारी बढ़ती ताकत का प्रमाण है।